दिनेश त्रिवेदी का क्या होगा?

May 22 2021


दिनेश त्रिवेदी का तो नाम सुना होगा आपने, गुजराती होकर भी जिन्होंने बंगाल की मां, माटी और मानुष को अपना बना लिया। लेकिन जब भी सियासत ने उन्हें मौका दिया उन्होंने पार्टी भी बदली और अपनी निष्ठा भी। बंगाल चुनाव की पूर्वबेला में उन्होंने यह कहते हुए ममता बनर्जी का साथ छोड़ दिया कि ’मुझे यहां घुटन महसूस हो रही है’ जबकि उनकी राज्यसभा की मियाद अभी साढ़े पांच साल बची हुई थी। अब दीदी उनकी छोड़ी हुई सीट से यशवंत सिन्हा को ऊपरी सदन में भेजना चाहती हैं ताकि वे राज्यसभा में भाजपा की नाक में दम कर सकें। त्रिवेदी को लगा था ’जब बंगाल में डंके की चोट पर भाजपा की सरकार आएगी तो अपनी घुटन को वे आजादी की रूह पहना सकेंगे। त्रिवेदी के एक करीबी बताते हैं कि भाजपा और संघ नेतृत्व ने उनसे वादा किया था कि उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया जाएगा, क्योंकि त्रिवेदी के संघ में भी गहरे रिश्ते हैं, संघ के नंबर दो दत्तात्रेय होसाबोले और कृष्ण गोपाल से उनके आत्मीय रिश्ते बताए जाते हैं। पर अब त्रिवेदी से कहा जा रहा है कि वे किसी राज्य के गवर्नर बन जाएं, क्योंकि भाजपा उन्हें तब ही केंद्र में मंत्री बना सकती हैं जब उन्हें देने के लिए कोई राज्यसभा सीट खाली हो, और भाजपा कोटे की राज्यसभा सीट 22 से पहले खाली नहीं होने वाली। त्रिवेदी की मन की इच्छा है कि उन्हें भाजपा अपना उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाएं, पर यहां चाहने से क्या होता है, ‘होइए वही जो मोदी रचि राखा।’

 
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