’हम भी खूब समझते हैं दोस्त तेरे इरादों को
बातें मीठी-मीठी और खून सने तेरे हाथों को’
एक ओर जहां कर्नाटक चुनाव भाजपा के लिए उसकी नाक का सवाल बना हुआ है, ऐसे में भाजपा के ही एक पूर्व मंत्री और खनन कारोबारी जी. जनार्दन रेड्डी का भगवा छाती पर मूंग दलना पार्टी को रास नहीं आ रहा। रेड्डी ने भाजपा से संबंधविच्छेद कर 25 दिसंबर 2022 को अपनी नई पार्टी ’कल्याण राज्य प्रगति पक्ष’ लांच कर दी, यही बात है जो भगवा पार्टी को नागवार गुज़र रही है। सीबीआई ने न सिर्फ रेड्डी बंधुओं पर तेजी से अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, बल्कि अभी हालिया दिनों में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने चार देशों यानी स्विटजरलैंड, सिंगापुर, ऑयल ऑफ मैन और यूएई की सरकारों को पत्र लिख कर रेड्डी बंधुओं के 2008 से 2012 के दौरान हुए तमाम लेन-देन का ब्यौरा मांगा है। दरअसल, कर्नाटक के आसन्न चुनाव में भाजपा को यहां कड़े संघर्षों से गुजरना पड़ रहा है, वहीं भाजपा को रिपोर्ट मिली है कि ’राज्य की कम से कम 15 विधानसभा सीटों पर रेड्डी बंधु कांग्रेस को फायदा पहुंचा रहे हैं’, माना जाता है कि कर्नाटक के रायचूर, यादगीर, कोप्पल, बीदर, विजयनगर और बेल्लारी जिलों में रेड्डी बंधुओं का खासा असर है। जनार्दन रेड्डी स्वयं कोप्पल की गंगावती सीट से और उनकी पत्नी अरूणा लक्ष्मी बेल्लारी शहर से आने वाले विधानसभा चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। कर्नाटक के भाजपा नेताओं ने यह बात अमित शाह तक पहुंचा दी है, शाह ने उनसे शांत रहने को कहा है। इसके तुरंत बाद कर्नाटक के सीएम बोम्मई का बयान आ जाता है कि ’रेड्डी अपनी पुरानी पार्टी यानी भाजपा में वापसी करेंगे’, पर जनार्दन रेड्डी इस दावे को अफवाह करार देते हैं। सनद रहे कि जर्नादन के दोनों भाई अभी भाजपा में विधायक हैं। जनार्दन रेड्डी ने तय किया है कि ’वे भाजपा और कांग्रेस के बड़े बागियों को अपनी पार्टी का टिकट देंगे साथ ही चुनाव लड़ने के लिए 5 करोड़ रुपयों की आर्थिक मदद भी देंगे’। जनार्दन रेड्डी को ऐसा लगता है कि ’जब उन पर अवैध खनन को लेकर जांच एजेंसियों का भारी दबाव था तब भाजपा ने उनका साथ नहीं दिया’, इनको ऐसा भी लगता है कि ये जाने-अनजाने पार्टी में बीएल संतोष बनाम येदुरप्पा की लड़ाई में बलि चढ़ गए, क्योंकि ये हमेशा से येदुरप्पा के वफादार सिपाहियों में शुमार होते थे। सनद रहे कि रेड्डी बंधु तब सुर्खियों में आए थे जब भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज ने सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी से चुनाव लड़ा था, जब इन्होंने इस लड़ाई में सुषमा का पूरा साथ दिया था, वे सुषमा को ’मां’ का संबोधन देते थे और सुषमा भी दस वर्षों तक लगातार रेड्डी बंधुओं द्वारा आयोजित ‘वारा महालक्ष्मी’ की पूजा में शामिल होने के लिए बेल्लारी जाती रहीं।