चलो इतिहास से खेलें

October 03 2021


इतिहासकार राघवेंद्र तंवर की एक पुस्तक छप कर आई है ताजा-ताजा जिसे पब्लिकेशन डिविजन ने छापा है, पुस्तक का नाम है ’द् स्टोरी ऑफ इंडियाज पार्टिशन’ यह पुस्तक लीक से हट कर बात करती है और वही बात कहती है जिसे दिल्ली के निजाम पर काबिज बादशाह और उनके अनुचर सुनना चाहते हैं। इस पुस्तक में जिन्ना और नेहरू के असली चेहरे को दिखाने की भरपूर कवायद हुई है। मौजूदा सत्ता की मंशाओं को स्वर देते हुए यह पुस्तक सवाल उठाती है कि हम आजादी के आंदोलन की तो बात करते हैं पर विभाजन की क्यों नहीं करते, जिसमें लाखों बेकसूर लोगों की जानें चली गईं। यह पुस्तक इशारों-इशारों में बात करती है कि क्या नेहरू को सत्ता का लालच था जो वे देश के विभाजन के लिए तैयार हो गए? नेहरू को कई और कड़े सवालों के लिए भी लेखक उन्हें कठघरे में खड़ा करता है। इतिहास को नए सिरे से लिखने और उनके तथ्यों को नया नजरिया देने के लिए इस दक्षिणपंथी रूझान की आलोचना हो सकती है और यह भी कहा जा सकता है कि यह नेहरू को बदनाम करने की एक कवायद है। पर अतीत में वामपंथी रूझानों वाले इतिहासकारों ने भी तो यही सब किया है, कीमत तो पीढ़ियों को चुकानी पड़ती है।

 
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