क्या होगा शिवसेना का?

July 12 2022


भाजपा ने उद्धव ठाकरे को क्या चिराग पासवान वाली स्थिति में ला दिया है? लोजपा के साथ जो हुआ क्या यही इतिहास भाजपा शिवसेना के साथ भी दुहराना चाहती है? जब चाचा पारस भतीजा चिराग के खुली आंखों के सामने से पार्टी ले गए और भतीजा टकटकी लगाए देखता रह गया। महाराष्ट्र के तीन जिले मुंबई, थाणे और कोंकण शिवसेना के परंपरागत गढ़ रहे हैं कोंकण के पूर्व शिव सैनिक नारायण राणे ने पहले ही भाजपा का दामन थाम लिया था, आज वे केंद्र में मंत्री हैं। थाणे के एकनाथ शिंदे बगावत कर आज राज्य के सीएम पद पर काबिज हैं। रही बात मुंबई की तो यहां ठाकरे व शिंदे गुट में खींचतान इस बात पर निर्भर है कि चुनाव आयोग पार्टी का चुनाव चिन्ह तीर-कमान किसे आबंटित करता है। शिंदे गुट का मानना है कि ’अगर सिर्फ शिवसेना का चुनाव चिन्ह उनके हिस्से आ गया तो वे ठाकरे की शिवसेना को मात दे देंगे।’ पर यह प्रक्रिया इतनी आसान और जल्दबाजी की नहीं, क्योंकि अभी आने वाले सितंबर माह में बृहनमुंबई नगरपालिका यानी बीएमसी के चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग भी इस मसले पर इतनी जल्दी फैसला नहीं ले सकता। वैसे भी जब इंदिरा गांधी के हाथ से कांग्रेस का परंपरागत चुनाव चिन्ह ‘गाय-बछड़ा’ चला गया था तो उन्होंने कांग्रेस ‘इंदिरा’ बना कर पंजे के चुनाव चिन्ह पर ही जीत हासिल कर ली थी। बीएमसी का चुनाव शिवसेना के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण हैं जहां पिछले ढाई दशक से वह काबिज है। अकेले बीएमसी का बजट 45,949 करोड़ रुपयों का है जो शिव शैनिक, शिवसेना और ठाकरे परिवार के अस्तित्व के लिए खाद पानी का काम करता है। सो, अगर शिवसेना के हाथ से बीएमसी गई तो उसकी प्राणवायु भी चली जाएगी, यही तो भाजपा चाहती है।

 
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