’तेरे मुंह से बिल्कुल अच्छी नहीं लगती लोकतंत्र की बात
तूने निगला है बोलता सूरज, तब आई है गूंगी रात’
पिछले रविवार को भाजपा शीर्ष के साथ हुई अपनी अहम बैठक में संघ ने साफ कर दिया कि यूपी और देश को लेकर उनका स्पष्ट दृष्टिकोण क्या है। संघ यह भी जानता है कि कोविड के कमजोर प्रबंधन को लेकर देश-दुनिया में केंद्र सरकार खास कर ’ब्रांड मोदी’ को झटका लगा है। सो, सूत्रों की मानें तो रविवार को आहूत उस बैठक में जिसमें भैयाजी जोशी, संघ के सह कार्यवाह दत्तात्रेय होसाबोले, पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा और भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष की उपस्थिति देखी गई। कहते हैं उस बैठक में मूलतः तीन बिंदुओं पर चर्चा हुई, देश में कोरोना के हालात व वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार, यूपी चुनाव, और केंद्रीय मंत्रिमंडल के संभावित फेरबदल का स्वरूप कैसा हो? विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि इस बैठक में भैयाजी जोशी की उपस्थिति हैरान करने वाली थी, उनके सख्त लहज़े से हर कोई वाकिफ है। इस बैठक में संघ ने यूपी को लेकर अपनी प्राथमिकताएं साफ कर दी हैं, पहला कि तमाम इन अटकलों पर विराम लगाया जाए कि योगी बदले जा रहे हैं, उनकी जगह राजनाथ सिंह को भेजे जाने की अफवाहों से संघ नाखुश बताया जाता है। संघ ने यूपी चुनाव के एजेंडे पर भी रोशनी डाली और साफ कर दिया कि यूपी का अगला चुनाव ‘हिंदुत्व’ पर लड़ा जाएगा, इस मुद्दे को आगे ले जाने के लिए फिलहाल भाजपा के पास योगी से बेहतर और कोई हिंदुवादी चेहरा नहीं है। यानी इतना तय मानिए कि बंगाल की तर्ज पर ही यूपी का अगला चुनाव भाजपा को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आधार पर ही लड़ना होगा। बंगाल हारने के बाद संघ का यह आग्रह तेज हो गया है कि उसे अपनी ’बैक सीट ड्राईव’ की रफ्तार बढ़ानी होगी। बैठक में एक तरह से यह भी साफ हो गया है कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में जब देश में कोरोना संक्रमितों के कुल मामले अनुमानतः 50 हजार से भी कम हो जाएंगे तब मोदी अपनी कैबिनेट में बड़ा फेरबदल कर सकते हैं। कहते हैं इसके लिए संघ ने भी अपनी ओर से कुछ नाम सुझाए हैं। इस बैठक में संघ ने साफ कर दिया है कि आने वाले 2022 के विधानसभा चुनावों में वह
पहले से ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाएगा। भाजपा को इसमें आपत्ति भी क्या हो सकती है।