सलामत रहे कुर्सी हमारी |
February 23 2015 |
नई दिल्ली स्थित इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मास कम्युनिकेशंस (आइआइएमसी) यानी भारतीय जन संचार संस्थान अपने गोल्डन जुबली ईयर यानी पचासवां वर्ष सेलिब्रेट कर रहा है,पर बीते कुछ दिनों जिस तरह इस प्रतिष्ठित संस्थान की गरिमा का हनन हुआ है वह निश्चित ही चिंता का विषय है। कभी दूरदर्शन के न्याू रीडर रहे सुमित टंडन संस्थान के मुखिया हैं, कहते हैं कांग्रेसनीत यूपीए सरकार से नजदीकियों की वजह से जरूरी पात्रता के बगैर भी टंडन यह पद पाने में कामयाब रहे। टंडन के नौकरशाहों से भी बहुत अच्छे रिश्ते हैं, संस्थान से जुड़े सूत्र बताते हैं कि निदेशक नौकरशाहों को उपकृत करने का हरसंभव प्रयास करते नार आते हैं, सूत्रों का दावा है कि संस्थान की ज्यादातर गाड़ियां बड़े नौकरशाहों की बीबीयों के सेवा में सुपुर्द रहती है। सूत्रों के मुताबिक सूचना प्रसारण सचिव बिमल जुल्का की पत्नी के सेवा में संस्थान की एक गाड़ी व ड्राईवर सदैव समर्पित होता है। कहते हैं कि टंडन समय-समय पर नौकरशाहों को महंगे उपहारों से भी लादते रहते हैं,ताकि संस्थान के अंदर उठ रहे बगावती स्वरों के बीच भी उनकी कुर्सी सलामत रहे। |
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