एक डॉक्टर भाजपा के अंदर

May 29 2017


ये शख्स कभी दिल्ली के अपोलो अस्पताल में एक मामूली डॉक्टर थे, आज उनके हाथ दो राज्यों में भगवा सत्ता की नब्ज है। वे पार्टी अध्यक्ष के बेहद दुलारे हैं सो, पार्टी संगठन में न सिर्फ उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है अपितु दो अहम राज्यों का प्रभारी भी बनाया गया है। इन दोनों राज्यों में तो बकायदा भाजपा की सरकार भी है। पार्टी अध्यक्ष की नजरें इनायत ने उन्हें इन दोनों प्रदेशों का एकछत्र शाह बना दिया है। उन्हें पार्टी के केंद्रीय कार्यालय 14, अशोक रोड में एक दमकता-चमकता कमरा दिया गया है, जहां इनकी सियासी दुकान चल निकली है। सत्ता का दर्प व उसकी बादशाहत इनके हाव-भाव से भी झलकने लगी है। उन्होंने भाजपा शासित एक उत्तर भारतीय राज्य के तमाम सांसदों को एक अघोषित फरमान जारी किया कि वे उनसे मिलने पार्टी दफ्तर में पधारें और उनसे दिशा निर्देश हासिल करे, पार्टी के विधायकों व पदाधिकारियों के लिए भी कमोबेश यही आदेश थे, सो लोग आते गए, उनकी चरणों में शीश नवाते रहे और सत्ता के इस महान डॉक्टर से दिशा निर्देश प्राप्त करते रहे। पर उसी प्रदेश से आने वाले एक दबंग सांसद ने डॉक्टर साहब के आदेश को शिरोधार्य करने से मना कर दिया और कहा कि उन्हें जो दिशा निर्देश चाहिए वे पार्टी अध्यक्ष व प्रधानमंत्री से मिल जाते हैं, चुनांचे हर जगह सिर झुकाने और पत्रम-पुष्पम चढ़ाने की क्या आवश्यकता है? दोनों के दरम्यान तलवारें खींच गई हैं, डॉक्टर साहब ने सांसद महोदय के समक्ष महत्ती चुनौती उछाल दी है कि ’अगली बार पार्टी टिकट लेकर दिखाना।’ सांसद भी कम नहीं हैं, उन्होंने भी ठान लिया है कि वे इस दुबले-पतले डॉक्टर को सियासी पटकनी देकर रहेंगे।

 
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