Posted on 11 November 2013 by admin
सीबीआई के कुछ उच्चाधिकारियों की बैठक केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के नई दिल्ली स्थित आवास पर विगत 21 सितंबर को आहूत हुई थी, इस बैठक में अहमद पटेल, कपिल सिब्बल, नारायण सामी के अलावा सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर सलीम अली भी शामिल थे, बाद में इस बैठक को स्वयं सीबीआई डायरेक्टर ने ज्वॉयन किया, तब सलीम अली उठकर चले गए। इस बैठक में कपिल सिब्बल ने खुलकर सीबीआई के उच्चाधिकारियों से कहा कि किसी कीमत पर सफेद दाढ़ी (नरेंद्र मोदी) और काली दाढ़ी (अमित शाह) का नाम चार्ज शीट में होना चाहिए, इस बैठक में इशरत जहां और सोहराबुद्दीन मामले के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई।
Posted on 05 November 2013 by admin
कांग्रेस के नंबर दो राहुल गांधी भले ही सियासी ककहरा उस तरह कंठस्थ नहीं कर पाए हों पर कांग्रेस के चाल-चरित्र को बदलने की उनकी आतुर मंशाओं पर अंगुली नहीं उठाई जा सकती, दिल्ली से कांग्रेसी प्रत्याशियों की पहली सूची में शामिल अपने ही पार्टी के कोई 11 विधायकों को लेकर राहुल के मन में संशय था। राहुल के पास जो इन विधायकों की रिपोर्ट कार्ड आई थी उसमें इन्हें भ्रष्टïाचार में लिप्त पाया गया था, सो कांग्रेस उपाध्यक्ष ने इन 11 के टिकट काट दिए, इनमें से ज्यादातर विधायकों को दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का वरदहस्त प्राप्त बताया जाता है। सो अपने प्यारों के टिकट कटने की खबर मिलते ही शीला भागी-भागी सोनिया के दरबार में पहुंची और फरियाद लगाई, सोनिया एक व्यवहार कुशल राजनेत्री हैं, चुनांचे उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया है कि इन 11 में से कुछ के नाम अगली सूची में शामिल कर लिए जाएंगे, यानी फिर भी शीला के कई चहेते विधायकों का टिकट कट ही जाएगा।
Posted on 23 October 2013 by admin
मुलायम सिंह की नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी आने वाले 2014 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल खेल रही है। क्या अजीबोगरीब इत्तफाक है कि राज्य सरकार ने हालिया मुजफ्फरनगर दंगों में फिर से तीली लगाने की कोशिश करते हुए बकरीद के एक दिन बाद वह आंकड़े जारी किए हैं जो एक तरह से मानवता को कलंकित करने वाले हैं, सरकारी आंकड़ों में गिनती के आधार पर बताया गया है कि मुजफ्फरनगर दंगों में कितने हिंदू मरे और कितनी संख्या में मुसलमान। जब इस बात के लिए सपा सरकार की हर तरफ किरकिरी हुई तो मुलायम ने अखिलेश सरकार का बचाव करते हुए कह दिया कि ऐसे आंकड़े जिला प्रशासन के स्तर पर जारी हुए हैं, इस बात की कोई उन्हें जानकारी नहीं है। उसी प्रकार विहिप के आंदोलन के दौरान साधु-संतों को हिरासत में लेना और भाजपा विधायकों को जेल में डालना मुलायम की इस सोची-समझी रणनीति का ही एक हिस्सा है।
Posted on 06 October 2013 by admin
दागी नेताओं को बचाने वाले ऑर्डिनेंस को बकवास करार देने के बाद कांग्रेस के यंग एंग्री युवराज एक पेंटर अंबिका जैन की पेंटिग एकीबिशन में जा पहुंचे। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक कांग्रेसी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को वहां मात्र 10 मिनट रूकना था, पर कला की खोज में राहुल कुछ इस कदर खो गए कि उन्हें इस बात का इल्म ही नहीं रहा कि कब डेढ़ घंटे गुजर गए हैं। प्रदर्शनी की कई पेंटिंग्स राहुल के दिल को छू गई और वे देर तक उन्हें निहारते रहे, चलिए रंगों के इस सफर में राहुल को रंगे सियारों की पहचान तो हो ही गई है।
Posted on 06 October 2013 by admin
सपा ने नरेश अग्रवाल के रूप में अपना नया अमर सिंह ढूंढ लिया है। जिनके अन्य राजनैतिक दलों में भी काफी मित्र हैं, और वे इस बात को छुपाना भी पसंद नहीं करते। इस एक अक्तूबर को अपने जन्म दिन के मौके पर नरेश अग्रवाल ने हरदोई में अपने घर पर एक जोरदार पार्टी रखी थी। इस पार्टी में शामिल होने के लिए पार्टी लाइन से इतर कई नेताओं की मौजूदगी देखी गई। सबसे चौंकाने वाली उपस्थिति तो केंद्रीय संसदीय राज्य मंत्री राजीव शुक्ला की थी, जिन्होंने दिल्ली के अपने तमाम पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों को रद्द कर अमर सिंह के पुराने सहयोगी रहे अशोक चतुर्वेदी के साथ एक चार्टर्ड विमान में सवार होकर हरदोई जा पहुंचे और उन्होंने वहां कानपुर से सपा के घोषित प्रत्याशी राजू श्रीवास्तव के कॉमेडी शो का भी भरपूर लुत्फ उठाया। इससे पहले भी कानपुर के एक क्रिकेट स्टेडियम में शुक्लाजी और नरेश अग्रवाल की हाथों में हाथ डाले तस्वीरें छपी थीं। नरेश अग्रवाल के मानिंद ही राजीव शुक्ला भी सियासी छुआछूत में यकीन नहीं रखते, यही वजह है कि भाजपा, बसपा, सपा जैसे दलों में उनके कई गहरे मित्र हैं।
Posted on 29 September 2013 by admin
इस ऑर्डिनेंस के विरोध में भाजपा नेताओं का प्रतिनिधिमंडल जब महामहिम राष्टï्रपति से मिला तो अपने पूर्ववर्ती से उलट प्रणब दा का इस मामले पर मंतव्य साफ था। भाजपा नेताओं की मौजूदगी में ही उन्होंने कपिल सिब्बल और सुशील कुमार शिंदे से बात की और उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया कि ऐसा कोई ऑर्डिनेंस लाने से सुप्रीम कोर्ट की भावनाएं आहत होंगी और विधायिका तथा न्यायपालिका के बीच एक टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। इसीलिए दादा ने बेहद दो टूक लहजे में कहा कि वे इस ऑर्डिनेंस को बगैर दस्तखत किए सरकार को वापिस भेजने वाले हैं। जैसे ही दादा के इरादों की भनक बाबा की भजन मंडली को लगी उन्होंने आनन-फानन में अपने युवराज के लिए नए ड्रामे की पटकथा लिख दी।
Posted on 22 September 2013 by admin
क्या अमेरिका की नाराज़गी को कम करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री देश के राष्टï्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन के पर कतरने में जुटे हैं। नहीं तो क्या वजह है कि इन दिनों मेनन का सोनिया व राहुल गांधी से मिलना-जुलना इस कदर बढ़ गया है, जो मेनन सदैव मीडिया से एक दूरी बना कर चलते थे वे बुला-बुला कर कुछ चुनींदा पत्रकारों से मिल रहे हैं और आंतरिक सुरक्षा मसलों और विदेश नीति पर उन्हें ब्रीफ कर रहे हैं। मेनन इस बात से भी प्रधानमंत्री से नाखुश बताए जाते हैं कि पीएम ने उनके सिर पर चार ‘एनवॉय’ बिठा दिए हैं। अफगानिस्तान-पाकिस्तान मसले को पहले से ही पीएम के विशेष दूत के तौर एस.के.लांबा देख रहे थे, श्याम सरण को इंडो-यूएस न्यूक्लीयर डील फॉर क्लाइमेट चेंज का जिम्मा सौंपा गया है। पूर्व कैबिनेट मंत्री अश्विनी कुमार को जापान का जिम्मा सौंप दिया गया है, वहीं अफगानिस्तान व नेपाल में भारत के राजदूत रह चुके राकेश सूद को पीएम ने अपना विशेष दूत बनाकर ‘डिसारमेंट एंड नान प्रोलिफेरेशन’ यानी निरस्त्रीकरण और अप्रसार का जिम्मा सौंपा है। जबकि सूद को लेकर मेनन का पहले से मानना रहा है कि उन्होंने भारत-नेपाल संबंधों को बद से बदतर बना दिया था, आखिर मनमोहन उन्हें किस बात के लिए पुरस्कृत करना चाहते हैं? यही वजह है कि मेनन ने राकेश सूद के साऊथ ब्लॉक में बैठने पर एक तरह से अघोषित पाबंदी लगा दी थी और उनके लिए पटेल चौक के पास एक ऑफिस में बैठने की व्यवस्था करवा दी थी, पर बाद में प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद यह मामला निपटा और सूद के लिए साऊथ ब्लॉक में एक ऑफिस तैयार करवाया जा सका। हालांकि मेनन प्रधानमंत्री के अमेरिकी दौरे में उनके साथ जा रहे हैं फिर भी मनमोहन सिंह अपने साथ एस. जयशंकर को भी साथ अपने साथ लेकर जा रहे हैं जो अमेरिका में भारत के अगले राजदूत होंगे। मेनन चीन में भारत के राजदूत रह चुके हैं और उन्हें चीनी भाषा और चीनी डिप्लोमेसी का भी अच्छा ज्ञान है इस नाते स्वाभाविक रूप से उनका झुकाव अमेरिका की बजाए चीन की ओर ज्यादा है, यही बात अमेरिकी लॉबी को रास नहीं आ रही है।
Posted on 16 September 2013 by admin
पर सवाल तो लाख टके का है कि आखिरकार दिग्विजय सिंह भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज के इतने खिलाफ क्यों हैं? सूत्र बताते हैं कि दिग्गी राजा की अंदरखाने से नरेंद्र मोदी से एक बड़ी डील हो चुकी है। मोदी और दिग्गी को करीब लाने में गुजरात के एक प्रमुख उद्योगपति गौतम अदानी की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका बतायी जाती है। अदानी के मोदी से बहुत ही करीबी रिश्ते हैं। वहीं कांग्रेस में भी कमलनाथ व दिग्विजय सिंह, एनसीपी में शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल से भी अदानी के बेहद नादीकियां हैं। दरअसल, दिग्गी अपने दामाद प्रांजय आदित्य सिंह को गुजरात के गोधरा से लोकसभा का चुनाव लडवाना चाहते हैं दिग्गी की चार बेटियां हैं जिसमें उनकी दूसरी बेटी मंदाकिनी का विवाह संतरामपुर, गोधरा के राज परिवार में प्रांजय के साथ हुआ है। अपने दामाद को गोधरा से विजयी बनवाने में दिग्गी को नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की मदद चाहिए। गौतम अदानी ने ही दिग्गी व मोदी की दोस्ती का रोड मैप तैयार किया है जिसके अंतर्गत मोदी के राजनैतिक शत्रुओं पर दिग्गी का निशाना अचूक बना रहेगा। ताजा सियासी हालात में अडवानी के बाद सुषमा ने ही मोदी विरोध की सबसे ज्यादा अलख जगाई है। चुनांचे वह मोदी-दिग्गी द्वय के निशाने पर हैं। वहीं दिग्गी अपनी पुरानी विधानसभा सीट राघोगढ़ से अपने पुत्र को चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं।
Posted on 09 September 2013 by admin
भाजपा की अंदरूनी राजनीति में 15 सितंबर का दिन एक नया तूफान लेकर आ सकता है। अपने जीवन की सबसे निर्णायक सियासी पारी खेल रहे लालकृष्ण अडवानी आगरा के फतेहपुर सीकरी के अकोला गांव के चौधरी चरण सिंह महाविद्यालय में, तो उसी रविवार के दिन भाजपा चुनाव अभियान समिति के प्रमुख नरेंद्र मोदी हरियाणा के रिवाड़ी के राव तुलाराम स्टेडियम में एक बड़ी पब्लिक रैली को संबोधित करने वाले हैं। अडवानी की रैली उनके नए धनुर्धर तथा रैलियों में भीड़ जुटाने की महारथ रखने वाले वरूण गांधी तो मोदी की भूतपूर्व सैनिकों की रिवाड़ी रैली को सफल बनाने में पूरी हरियाणा भाजपा जुटी है। इसके अलावा जनहित कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई तथा पूर्व आर्मी चीफ जनरल वी.के. सिंह भी जुटे हैं रिवाड़ी रैली को सफल बनाने में, क्योंकि रिवाड़ी और इसके साथ लगे जिलों महेंद्रगढ़, झज्जर व हिसार में पूर्व व वर्तमान सैनिकों की सबसे बड़ी आबादी बसती है। कहा जाता है कि यहां के हर घर का कोई न कोई भारतीय सेना में जरूर है। और इन पूर्व व वर्तमान सैनिको में जनरल वी.के.सिंह की काफी इज्जत है। सो, न सिर्फ भूतपूर्व सैनिकों की इस रैली में जनरल सिंह को बोलने के लिए न्यौता गया है बल्कि उस रैली में अपेक्षित भीड़ जुटाने में उनकी मदद भी ली जा रही है।
वरूण गांधी की अडवानी वाली आगरा रैली का तत्काल असर यह देखने को मिला कि आनेवाले 2 अक्तूबर को मोदी की एक बड़ी रैली आगरा-फतेहपुर सीकरी के साथ लगे मथुरा में आहूत थी। सूत्र बताते हैं कि आनन-फानन में मोदी की मथुरा रैली को तत्काल प्रभाव से कैंसिल कर दिया गया है। क्योंकि मोदी करीबियों को लगता है कि सिर्फ 15 दिनों के अंतराल पर सीकरी के बाद मथुरा में भारी भीड़ जुटाना संभव नहीं होगा। अडवानी व वरूण की सीकरी रैली के संयोजक व भाजपा में नए-नए शामिल हुए उस क्षेत्र के प्रमुख जाट नेता राजकुमार चाहर इस संवाददाता को बताते हैं, ‘अडवानी और वरूण की रैली को लेकर यहां के लोगों में व खासकर जाट समुदाय में काफी उत्साह है।’ चाहर दावा करते हैं कि पार्टी की 15 सितंबर की रैली में कम से कम 50 हजार लोगों की भीड़ अवश्य जुटेगी। जबकि सूत्र बताते हैं कि भाजपा महासचिव व पार्टी के यूपी प्रभारी अमित शाह अडवानी की सीकरी रैली की संकल्पना से कतई खुश नहीं हैं। उनको कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि सीकरी रैली की छाया मोदी की मथुरा रैली पर भी पड़ सकती है। सो, उन्होंने वहां के संगठन के लोगों को बुला कर सर्वप्रथम तो अडवानी की रैली कैंसिल करने को कहा, पर उन्हें भाजपा के पदाधिकारियों की ओर से जवाब मिला कि चूंकि पूरे क्षेत्र में रेली से संबंधित होर्डिंग्स, बैनर, पोस्टर आदि लग चुके हैं, इस रैली का काफी प्रचार-प्रसार भी हो चुका है, सो अब इसे रद्द करना संभव नहीं हो पाएगा। सो, शाह बस हाथ मल कर रह गए। इस बारे में पूछे जाने पर राजकुमार चाहर कहते हैं कि ‘शाह की ओर से ऐसा कुछ किया गया है इसका संज्ञान उन्हें नहीं है। पर 15 सितंबर की रैली पार्टी संगठन की ओर से आयोजित रैली है जिसमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी, पार्टी के राष्टï्रीय उपाध्यक्ष सत्यपाल मलिक, कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह जैसे बड़े नेता शामिल हो रहे हैं।’ वरूण गांधी ने अपनी फतेहपुर सीकरी रैली को अपनी पूर्व की रैलियों की तरह इसे भी ‘स्वाभिमान रैली’ का नाम दिया है। समझा जाता है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह का भी इस ‘स्वाभिमान रैली’ को पूरा समर्थन हासिल है। क्योंकि वे मथुरा संसदीय क्षेत्र से अपने साढ़ू अरूण सिंह को मैदान में उतारना चाहता हैं। वहीं कहीं राजनाथ अडवानी और मोदी से अपने रिश्तों में एक सियासी संतुलन भी साधना चाहते हैं। क्योंकि उन्हें कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि वे पार्टी व पार्टी से बाहर मोदी के नाम का अलख जगाते हुए कहीं आगे निकल आए हैं। शायद यही वजह है कि राजनाथ ने मोदी की रिवाड़ी रैली को संयोजित करने का पूरा जिम्मा पार्टी की हरियाणा यूनिट को दे रखा है। हरियाणा के पार्टी प्रभारी जगदीश मुखी पार्टी की केंद्रीय इकाई की ओर से दिल्ली में बैठकर रैली के कॉर्डिनेशन का काम देख रहे हैं। हरियाणा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रामविलास शर्मा से उन्होंने संपर्क बना रखा है और शर्मा ने अपने दो विश्वस्तों कैप्टन अभिमन्यू और पूर्व सांसद सुधा यादव को रैली आयोजन की सक्रिय जिम्मेदारी सौंप रखी है। इसके अलावा हरियाणा भाजपा के 6 संसदीय क्षेत्रों की पार्टी इकाईयां इस रिवाड़ी रैली को सफल बनाने के प्रयास में दिन-रात जुटी हैं। ये संसदीय क्षेत्र हैं-सिरसा, हिसार, रोहतक, भिवानी, गुडग़ांव और फरीदाबाद । देखना दिलचस्प रहेगा कि मोदी व अडवानी अपनी इन रैलियों में एक-दूसरे पर सीधा हमला साधते हैं कि इशारों-इशारों में अपनी बात कह जाते हैं। फिलवक्त पूरी भाजपा की निगाहें 15 सितंबर की इन दोनों रैलियों पर टिकी हैं।
Posted on 08 September 2013 by admin
दिल्ली भाजपा में ‘पैसे दो, भगवा टिकट लो’ का खेल चालू है। भाजपा से जुड़े विश्वस्त सूत्रों के दावों पर अगर यकीन किया जाए तो दिल्ली भाजपा के इंचार्ज नितिन गउकरी की अगुवाई वाली एक टीम ने दिल्ली की कम से कम 14 ऐसी विधानसभा सीटों की पहचान की हैं जहां पार्टी उम्मीदवार के जीतने की संभावनाएं सबसे कम हैं। इन सीटों में गांधीनगर, मटिया महल, नरेला, विश्वास नगर, बाबरपुर, बवाना, बदरपुर, ओखला, जंगपुरा व नजफगढ़ विधानसभा सीटों के नाम शामिल हैं। इन जगहों से पार्टी टिकट चाहने वालेदावेदारों से सर्वप्रथम इन सीटों की बोली लगाने को कहा गया था, पहले प्रति सीट बोली का रिजर्व प्राइस 5 करोड़ रखा गया था, बाद में जिसे घटाकर 2 करोड़ कर दिया गया, पर फिर भी टिकट चाहने वालों का टोटा बना रहा तो एक नया फॉर्मूला इजाद किया गया। इस नए फॉर्मूले के मुताबिक प्रति विधानसभा सीट पर 10 पार्टी उम्मीदवारों का जो पैनल बनाया जा रहा है, सिर्फ इस पैनल में नाम डालने के लिए अघोषित तौर पर प्रत्येक उम्मीदवार से 5 लाख रूपयों की मांग की जा रही है। जो संभावित उम्मीदवारों की टॉप तीन की सूची में आना चाहते हैं उससे 25 लाख तथा टॉप-दो में आने वालों से 50 लाख रूपयों की मांग हो रही है। यानी भाजपा में टिकटों की सौदेबाजी को एक संस्थागत रूप देने प्रयास जारी हैं।