बसपा उम्मीदवारों को पहली बार पार्टी फंड

January 19 2016


बहुजन समाज पार्टी चुनाव में जाने के परंपरागत तरीकों को तिलांजलि देकर वक्त के साथ चलना सीख रही है, यही वजह है कि यूपी के 2017 के आसन्न विधानसभा चुनाव के लिए बसपा के रणनीतिकारों ने भी हाईटेक कैंपेन को अंजाम देना शुरू कर दिया है, अपने चाल, चरित्र व चेहरा बदलने की कवायद में बसपा ने यूपी में एक नामचीन एजेंसी से बड़ा जनमत सर्वेक्षण करवाया है, इस सर्वेक्षण नतीजों से बहिनजी के हौंसले बम-बम हैं, यह सर्वेक्षण 167 सीटों पर बसपा को नंबर एक की पोजीशन पर दिखा रहा है, 70 से 90 सीटें ऐसी हैं जहां बसपा उम्मीदवार अपने निटकतम प्रतिद्वंदी सपा उम्मीदवारों से 5 फीसदी से भी कम अंतर पर मात खा रहे हैं और इनमें से भी 50 सीटें ऐसी हैं जो आरक्षित सीटें हैं। यानी बसपा के दलित उम्मीदवार अपने कैडर वोटरों के अलावे अन्य वोटरों को लुभाने में उस कदर कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, चुनांचे मायावती के नेतृत्व में बसपा की कोर कमेटी ने तय किया है कि ब्राह्मण, मुसलमान व अति पिछड़े वोटरों को लुभाने के लिए बसपा कार्यकर्त्ता गांव-गांव जाकर ऐसे समुदायों के बीच मित्र मंडली गठित करेंगे। इसके अलावा बसपा की शीर्ष समिति ने एक और अहम फैसला लिया है कि आने वाले चुनाव में पहली दफा आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों को पार्टी फंड करेगी और उन्हें चुनाव लड़ने के लिए पार्टी फंड से आर्थिक मदद दी जाएगी, ऐसे उम्मीदवारों की शिनाख्त का काम भी पूरा हो चुका है, इसमें से ज्यादातर दलित उम्मीदवार हैं।

 
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