भाजपा (वाजपेयी) असंतुष्टों की हो सकती है नई पार्टी

November 17 2015


पिछले 16-17 महीनों में मोदीमय हो गई भाजपा के कमल के प्रस्फुटन में अंतहीन सवालों की कडि़यां अटक गई हैं, मोदी व शाह की आत्मुग्धतापूर्ण रवेये के विरोध में पार्टी के वरिष्ठ नेता एकजुट होकर एक नई पार्टी या मंच के गठन के बारे में गंभीरता से मनन कर रहे हैं। बिहार में भाजपा की ताजा और करारी हार ने इन असंतुष्ट नेताओं के मंसूबों को संजीवनी देने का काम किया है। लालकृष्ण अडवानी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, शांता कुमार, अरूण शौरी, शत्रुघ्न सिन्हा, राम जेठमलानी जैसे पार्टी नेताओं को किंचित इस बात की पीड़ा है कि हाल के वर्षों में मोदी के अभ्युदय के बाद भाजपा अटल जी के आदर्शों से भटक गई है, सो 25 दिसंबर को अटल जी के जन्मदिन के मौके पर ये नेतागण सामूहिक रूप से एक मंच पर आकर भारतीय जनता पार्टी (वाजपेयी) का गठन कर सकते हैं, अगर किसी राजनैतिक पार्टी के गठन में अड़चनें आई तो इन बुजुर्ग नेताओं के नवप्रयास किसी मंच की शक्ल में भी सामने आ सकते हैं। अडवानी से जुड़े एक विश्वस्त सू़त्र का दावा है कि बुजुर्ग नेताओं की इस पहल को अंदरखाने से संघ का भी समर्थन प्राप्त है, जो इसे मोदी के ऊपर एक प्रेशर ग्रुप की तरह देख रहा है। मोदी कैंप की ओर से भी इन रूठे बुजुर्गों को मनाने की कवायद शुरू हो गई है, सूत्र बताते हैं कि इन्हें मनाने का जिम्मा मोदी ने अपने तीन विश्वस्तों जेटली, गडकरी और वेंकैया नायडू को सौंपा है, अनंत कुमार भी अपनी ओर से कुछ पहल करते दिख रहे हैं। पर इस बार नाराज़ बुजुर्गों को मनाना इतना आसान नहीं होगा।

 
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