Posted on 28 May 2023 by admin
सीबीआई के मौजूदा डायरेक्टर सुबोध कुमार जायसवाल का कार्यकाल इसी महीने यानी मई में समाप्त हो रहा है, सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार ने भी मन बनाया हुआ है कि जायसवाल को आगे एक्सटेंशन नहीं दिया जाएगा, सो उनके उत्तराधिकारी की तलाश जोर-शोर से जारी है। माना जाता है कि इस वक्त रेस में तीन नाम सबसे आगे चल रहे हैं, इनमें से पहला नाम दिल्ली के वर्तमान पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा का है, जो तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अफसर हैं और उन्हें लगता है कि दिल्ली पुलिस में उनसे एक बाहरी की तरह सुलूक हो रहा है, सो उन्होंने यहां से जाने की इच्छा जताई है। दूसरा नाम मध्य प्रदेश के डीजीपी सुधीर सक्सेना का चल रहा है, पर्यवेक्षक अब तलक इनकी दावेदारी को सबसे मजबूत बता रहे हैं। तीसरा नाम एनआईए प्रमुख दिनकर गुप्ता का सुर्खियों में है, पर उनके बारे में माना जा रहा है कि ’रॉ’ प्रमुख सामंत गोयल उन्हें अपनी एजेंसी में ले जाना चाहते हैं। अभी हालिया दिनों में महाराष्ट्र के कई आईपीएस अधिकारियों को भी प्रमोशन मिला है, इनमें से एक अतुलचंद्र कुलकर्णी भी हैं जो इन दिनों ’रॉ’ में प्रतिनियुक्ति पर हैं। सीबीआई के अगले मुखिया के तौर पर इनका नाम भी रेस में बताया जाता है। एक थ्योरी और चल रही है कि ’इस बार सीबीआई का चीफ बनने का मौका उसी अफसर को मिलेगा जिसकी स्लेट क्लीन हो और जिन्होंने पहले कभी सीबीआई में काम नहीं किया हो,’ इस नाते तो संजय अरोड़ा का दावा सबसे मजबूत दिखता है, पर एक और सूत्र का दावा है कि सरकार ने एक तरह से सुधीर सक्सेना का नाम फाइनल कर रखा है बशर्ते उन्हें चयन समिति की हरी झंडी मिल जाए।
Posted on 28 May 2023 by admin
ईडी डायरेक्टर संजय मिश्रा को केंद्र सरकार द्वारा तीसरा एक्सटेंशन दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को खासी झाड़ लगाई है, अदालत ने केंद्र सरकार के इस फैसले कई सवाल भी उठाए हैं, इसके बाद से ही प्रवर्तन निदेशालय के नए निदेशक की तलाश शुरू हो गई है। आईएएस, आईपीएस और आईआरएस अफसर ही ईडी चीफ का जिम्मा उठाते हैं। सूत्रों की मानें तो इस वक्त ईडी चीफ की रेस में दो लोग प्रमुखता से आगे चल रहे हैं, इनमें से एक 1989 बैच के आईपीएस अफसर तिहाड़ जेल के डीजीपी संजय बेनीवाल हैं और रेस में दूसरा नाम है 1987 बैच के आईआरएस अफसर प्रवीण कुमार का जो इस वक्त अहमदाबाद में इंकम टैक्स के प्रिंसिपल डीजी हैं। ईडी के मौजूदा चीफ संजय मिश्रा का तीसरा सेवा विस्तार इस साल नवंबर में खत्म हो रहा है। वे सबसे पहले नवंबर 2018 में 2 साल के लिए ईडी डायरेक्टर नियुक्त किए गए थे, फिर इन्हें 2020 में से एक साल का सेवा विस्तार दिया गया। इसके बाद नवंबर 2021 में केंद्र सरकार ’सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर एक्ट’ में बदलाव कर एक अध्यादेश लेकर आई जिससे कि उनके परम प्रिय संजय मिश्रा को कार्यकाल का एक और विस्तार दिया जा सके। सनद रहे कि संजय मिश्रा 1984 बैच के राजस्व सेवा के अधिकारी हैं। 95 फीसदी विपक्षी नेताओं पर चल रही ईडी की जांच की कमान भी इनके पास ही है। विपक्षी नेताओं की यह फेहरिस्त काफी लंबी है जिसमें सोनिया, राहुल, प्रियंका, रॉबर्ट वाड्रा, डीके शिवकुमार, हेमंत सोरेन, फारूक, उमर व महबूबा मुफ्ती, अनिल देशमुख जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
Posted on 28 May 2023 by admin
कर्नाटक फतह के बाद कांग्रेस के हौसले सातवें आसमान पर है। सूत्र बताते हैं कि अब प्रियंका यूपी से मध्य प्रदेश शिफ्ट करने वाली हैं। इसका अंदाजा इस बात से भी हो जाता है कि पिछले दिनों प्रियंका ने लखनऊ में रायबरेली रोड स्थित अपने दफ्तर पर ताला जड़ दिया है। उनकी पूरी टीम अब लखनऊ से दिल्ली आ गई है, माना जाता है कि बहुत जल्द टीम को भोपाल शिफ्ट कर दिया जाएगा। सूत्र यह भी खुलासा करते हैं कि ’कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ-साथ बहुत जल्द प्रियंका को राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की भी जिम्मेदारी मिलने जा रही है।’ इसके अलावा प्रियंका का कांग्रेस के सांगठनिक मामलों में भी खासा दखल होगा। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रियंका का अहम रोल रहने वाला है, सूत्रों की मानें तो प्रियंका को कैंपेन कमेटी का मुखिया भी बनाया जा सकता है। प्रियंका से जुड़े सूत्रों की मानें तो वह कैंपेन की शुरूआत जबलपुर जिले के ग्वारीघाट से करेंगी। जहां वह नर्मदा पूजन के बाद 3 किलोमीटर से भी लंबा रोड शो करेंगी। सनद रहे कि ग्वारीघाट नर्मदा नदी के तट पर बसा है, मान्यता है कि गुरू नानक देव जी भी यहां आए थे।
Posted on 28 May 2023 by admin
कहते हैं असफलताओं से बड़ी कोई दूसरी सीख नहीं होती, पिछले 9 सालों में कांग्रेस ने भी अपनी असफलताओं से सबसे बड़ी सीख यही ली कि जमीन पर उसका जनाधार दरक रहा है, उसके संगठन को दीमक लग रहा है, उसके लोग अन्य पार्टियों का रुख कर रहे हैं। सो, अपने बूथ मैनेजमेंट को पुख्ताधार देने के लिए कांग्रेस ने इसका जिम्मा अपने वरिष्ठ नेता डीपी राय को सौंपने की तैयारी की है। राय पश्चिम बंगाल से ताल्लुक रखने वाले एक ग्रासरूट वाले नेता हैं, जो जलपाईगुड़ी और अलीपुर द्वार से कांग्रेस के एमएलए रहे हैं, 1984 से 1990 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे हैं, इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस संगठन में कई महती जिम्मेदारियां उठाई हैं। डीपी राय को कांग्रेस कार्यकर्ताओं के ट्रेनिंग का जिम्मा सौंपा जा सकता है, जो कांग्रेस सेवा दल, महिला कांग्रेस, एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के कैडर को प्रशिक्षित कर उन्हें बूथ मैनेजमेंट का गुरू सिखाएंगे। अब तक कांग्रेस में ट्रेनिंग सेंटर चलाने का जिम्मा सचिन राव पर था, जो महाराष्ट्र के वर्धा में कांग्रेस का ट्रेनिंग सेंटर संचालित करते रहे हैं। पर डीपी राय का मानना है कि ’ट्रेनिंग के लिए कांग्रेस के हर कार्यकर्ता को वर्धा जाने की क्या जरूरत है, जब वे अलग-अलग राज्यों में जाकर ऐसे ट्रेनिंग कैंप लगा सकते हैं।’ राय कांग्रेसी सियासत में एक वक्त हाशिए पर चले गए थे क्योंकि उन्होंने हमेशा कांग्रेस का लेफ्ट के साथ गठबंधन का विरोध किया जबकि इस मामले में राहुल गांधी का नजरिया किंचित अलग रहा है, राहुल वामपंथी राजनीति के बड़े प्रशंसक रहे हैं।
Posted on 28 May 2023 by admin
एनसीपी मुखिया शरद पवार अपनी सांसद पुत्री सुप्रिया सूले को अपना राजनैतिक वारिस घोषित करना चाहते हैं, अपने स्वास्थ्यगत कारणों की वजह से। पवार ने शायद इसीलिए अपने राकांपा चीफ पद से हालिया दिनों में त्याग पत्र दे दिया था, वे चाहते थे कि ’वे राकांपा मुखिया की कुर्सी अपनी बेटी को सौंप कर खुद मार्गदर्शक के अवतार में आ जाएं।’ उन्होंने अपने भतीजे अजित पवार को बुला कर यह समझाना चाहा कि अजित अपना फोकस महाराष्ट्र की राजनीति में रखें और सुप्रिया राष्ट्रीय स्तर पर एनसीपी के विस्तार की पटकथा लिखें, पर अजित नहीं माने। उल्टे उन्होंने धमकी दे डाली कि ’अगर सुप्रिया को राकांपा अध्यक्ष घोषित किया गया तो वे पार्टी के ज्यादातर विधायकों को साथ लेकर भाजपा में शामिल हो जाएंगे।’ यही वजह है कि बीच-बचाव की मुद्रा अख्तियार करने के लिए पवार को अपना इस्तीफा वापिस लेना पड़ा। वहीं सुप्रीम कोर्ट के महाराष्ट्र के शिंदे सरकार पर हालिया फैसले से भाजपा को भी अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। नहीं तो कहीं अगर सर्वोच्च न्यायालय शिंदे सरकार को असंवैधानिक करार देता तो भाजपा को भी शिंदे से पीछा छुड़ाने का एक नायाब मौका हाथ लग जाता। भाजपा जानती है कि वह शिंदे को अपने कंधे पर बिठा कर महाराष्ट्र नहीं जीत सकती, सो अंदरखाने से पार्टी रणनीतिकारों ने अपने तार एनसीपी के असंतुष्ट नेता अजित पवार से जोड़ रखे थे, अजित पवार भी देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व वाली नई भाजपा सरकार में उप मुख्यमंत्री बनने को तैयार थे, पर अदालत के हालिया फैसले से दोनों पार्टियों के इरादों पर पानी फिर गया।
Posted on 28 May 2023 by admin
कर्नाटक में चुनाव प्रचार के वक्त से ही जैसी तस्वीर उभर रही थी चुनावी नतीजे भी इससे मिलते-जुलते ही आए। कल्याण कर्नाटक, कित्तूर और दक्षिण कर्नाटक में आशा के अनुरूप ही कांग्रेस ने मैदान मार लिया। भाजपा कोस्टल कर्नाटक और बेंगलुरू में कमल खिलाने में कामयाब रही। जेडीएस के गढ़ में ही कई जगह सेंध लग गई। यह भी लगा कि भाजपा अपने विकास कार्यों को गिनाने के बजाए कांग्रेस के बुने जाल में फंस गई, सो जायज मुद्दों को उठाने के बजाए उसने बजरंग बली का गदा उठा लिया। दरअसल, कांग्रेस का मेनिफेस्टो तय करते समय इस बात पर सहमति बनी थी कि कांग्रेस धार्मिक आधार पर समाज को बांटने वाले संगठनों पर बैन लगाएगी। लेकिन मेनिफेस्टो कमेटी के चेयरमैन जी परमेश्वरा ने जानबूझ कर इसमें बजरंग दल और पीएफआई का नाम डलवा दिया, जिससे भाजपा ’बजरंग बली’ के मुद्दे में उलझ कर रह जाए और हुआ भी यही।
Posted on 06 May 2023 by admin
कर्नाटक चुनाव में भाजपा बनाम कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप के दौर जारी हैं। केंद्रीय नेत्री स्मृति ईरानी अभी कर्नाटक चुनाव प्रचार में गई तो उन्होंने तुर्रा उछाल दिया कि ’2019 के लोकसभा चुनाव में जब प्रियंका गांधी अमेठी गई थीं तो वहां की एक गली में वह नमाज़ अदा करती नज़र आयी थीं।’ स्मृति के इस बयान के बाद बवाल मच गया और सोशल मीडिया पर इस बात की पड़ताल शुरू हो गई। फिर यह निष्कर्ष निकला कि यह तस्वीर प्रियंका की एक दरगाह की थी, जहां वह हाथ उठा कर दुआ मांग रही है। इसके बाद कांग्रेस की ‘ई सेना’ भी सक्रिय हो गई उन्होंने भी ढूंढ-ढूंढ कर भाजपा नेताओं की ऐसी तस्वीरें निकालीं जहां दुआ में उनके हाथ भी उठे हुए थे। किसी दरगाह में दुआ मांगते और कलमा पढ़ते कई भाजपा नेताओं की तस्वीरें सामने आ गई, इन तस्वीरों में पीएम मोदी, अमित शाह, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा जैसे भाजपा के दिग्गज नेतागण शुमार हैं। एक अन्य तस्वीर में मोदी व स्मृति ईरानी किसी मजार पर चादर चढ़ाते नज़र आ रहे हैं।
Posted on 06 May 2023 by admin
दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र आस्तिक नारायण ने अपने पहले ही अटेम्ट में जेईई मेंस में 100 पर्सेंटाइल लाकर सबको चौंका दिया, दिल्ली की आप सरकार के लिए भी यह एक मौका था कि ’वे अपने दावे को पुष्ट कर सके कि उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों का कायाकल्प कर दिया है।’ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल जो इन दिनों अपने 45 करोड़ के सरकारी निवास को लेकर विपक्षियों के निशाने पर हैं वे इस मौके को लपकना चाहते थे। सो, उन्होंने अपनी टीम से कहा कि ’वे आस्तिक को बाबा साहेब अंबेडकर की एक प्रेरक बॉयोग्राफी भेंट करना चाहते हैं।’ उनकी टीम काम पर लग गई और सर्वसम्मति से एक पुस्तक का चुनाव किया गया, वह पुस्तक थी-’अंबेडकर: ए लाइफ’ जिसे लिखा था शशि थरूर ने, जो अब कांग्रेस के एक बड़े नेता हैं। जब यह पुस्तक केजरीवाल के संज्ञान में लाई गई तो वे इस पर किंचित झिझक गए, उनकी द्विविधा थी कि ’एक कांग्रेस नेता द्वारा लिखित बॉयोग्राफी देने से इसके अलग राजनैतिक माएने न निकाले जाए,’ सो इस पुस्तक की जगह आनन-फानन में एक वैकल्पिक पुस्तक की पड़ताल हुई और केजरीवाल ने अपने कार्यालय में आयोजित एक समारोह में आस्तिक को जो पुस्तक भेंट की, वह थी आकाश सिंह राठौर द्वारा लिखित ’बीकमिंग बाबा साहेब अंबेडकर’।
Posted on 06 May 2023 by admin
कर्नाटक चुनाव में जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें करीब आ रही है, सत्तारूढ़ दल के वैचारिक दिवालियापन की पोल भी खुलती जा रही है। जब कांग्रेस ने नफरत और जहर फैलाने वाले संगठनों ’बजरंग दल’ और ’पीएफआई’ पर बैन की बात की तो भाजपा प्रचार के अगुआ ने इसे बजरंग बली से जोड़ कर एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया। बात तो उन्होंने हालिया रिलीज एक प्रोपेगेंडा फिल्म ’केरल एक्सप्रेस’ की भी की पर इससे भी इतना चुनावी बुखार चढ़ता नज़र नहीं आया। अब कांग्रेस कर्नाटक के पड़ोसी राज्य गोवा का मुद्दा उठा रही है कि ’जब वहां मनोहर परिक्कर वाली भाजपा की सरकार थी तब उन्होंने राज्य में हिंदू अधिकारों की वकालत करने वाली ‘श्रीराम सेना’ के गोवा में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था, यह प्रतिबंध आज भी वहां की भाजपा सरकार के दौर में बदस्तूर जारी है।’ कांग्रेस पूछ रही है कि ’क्या यह श्रीराम पर लगाया गया प्रतिबंध है?’ पीएम के करीबी माने जाने वाले जफर सरेशवाला का वह वीडियो भी इन दिनों खूब वायरल हो रहा है, जिसमें एक चैनल को दिए गए इंटरव्यू में सरेशवाला कह रहे हैं कि ’कभी अहमदाबाद में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की हुकूमत चलती थी, यहां विहिप का सालाना जलसा होता था तो उसमें 5 लाख से ज्यादा हिंदू शामिल होते थे, प्रवीण तोगड़िया जब अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उतरते थे तो उनके साथ 200 गाड़ियों का काफिला चलता था, मोदी ने आकर इनकी दहशत खत्म कर दी।’ आज उसी बजरंग दल को भगवा स्टार एक चुनावी मुद्दा क्यों बना रहे हैं? सवाल यही सबसे बड़ा है।
Posted on 06 May 2023 by admin
छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी पुनर्वापसी को लेकर खासे आश्वस्त जान पड़ते हैं। वैसे भी राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा अब भी वहां अपने रंग में नहीं दिख रही। भाजपा के राज्य में कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह अपने स्वास्थ्यगत कारणों से प्रदेश की राजनीति में उतने एक्टिव नहीं दिख रहे। छत्तीसगढ़ के एक अन्य प्रमुख नेता और पीएम मोदी के बेहद करीबी माने जाने वाले नंद कुमार साय का हालिया दिनों में भाजपा छोड़ कर कांग्रेस ज्वॉइन कर लेने से भाजपा की उम्मीदें यहां और मद्दिम पड़ गई है। भाजपा शीर्ष ने भी अपनी ओर से राज्य में कई जनमत सर्वेक्षण करवाए हैं, इन तमाम सर्वेक्षणों में बघेल की लोकप्रियता में इजाफा ही दर्ज हुआ है। दरअसल, बघेल सरकार की एक के बाद एक लांच हुई लोक कल्याणकारी नीतियों व योजनाओं से वोटरों का एक नया वर्ग तैयार हो गया है, जो बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक मौका और देना चाहता है। वहीं कांग्रेस में बघेल के प्रबल विरोधी माने जाने वाले टीएस सिंहदेव अब भी निरंतर भाजपा के संपर्क में बताए जाते हैं पर भाजपा की स्थानीय इकाई उनको लेकर बहुत उत्साहित नहीं है। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं को सिंहदेव की राजसी जीवनशैली रास नहीं आ रही, चूंकि सिंहदेव एक राज परिवार से ताल्लुक रखते हैं, सो राजनीति करने का उनका अंदाज भी किंचित दीगर है। वे ग्रासरूट की राजनीति में उस कदर फिट नहीं बैठते। सो, छत्तीसगढ़ में तो फिलवक्त ऐसा ही भान हो रहा है कि यहां की फिज़ाओं में कांग्रेस का जादू ही सिर चढ़ कर बोल रहा है।