‘वेल्थ’ की लूट है कॉमनवेल्थ

June 08 2010


कॉमनवेल्थ के खेल में ‘वेल्थ’ के लफड़े में कुछ भी कॉमन नहीं है, चंद खास लोगों के इशारे पर चल रहा है तैयारियों का खेल, जाहिर है इस खेल में सियासत के चंद बड़े खिलाड़ी शामिल हैं। ‘लास्ट मिनट कांट्रेक्टर अवार्ड’ यानी टेंपररी नेचर का जो भी काम किसी कंपनी को अवार्ड होता है, उस कमेटी पर सुरेश कलमाड़ी, भनोत और इनके सचिव कोडा का सिक्का चलता है। अभी एक मामूली से काम के लिए जो टेंडर मंगाए गए हैं उसकी एक खास शर्त थी कि वही कंपनी इस टेंडर में भाग ले सकती है जिसे ओलंपिक खेलों में समान सप्लाई करने का तजुर्बा हो, जाहिर सी बात है कि यह एक ऐसी शर्त थी जिसकी आड़ में तमाम भारतीय कंपनियों की छुट्टी कर दी गई, क्योंकि उनके पास कहां से ओलंपिक का अनुभव आता? जिन चार कंपनियों ने इसमें क्वालिफाई किया है उसमें से एक कंपनी स्पेन की है और दूसरी हांगकांग की, दिलचस्प तो यह कि इस हांगकांग की कंपनी का भारतीय प्रतिनिधि भाजपा के एक शीर्ष नेता है जिनकी कांग्रेस में भी उतनी ही पहुंच है, भाजपा में चाहे उनकी छवि लाख विवादास्पद हो पर कांग्रेस में उन्हें क्लीनचिट  मिली हुई है। सूत्र बताते हैं कि कायदे से यह सारा काम 150 करोड़ रुपयों से ज्यादा का नहीं, पर शह-मात के उस्ताद बाजीगरों ने अपनी बिसात कुछ ऐसी बिछाई है कि यह बोली 600 करोड़ रुपयों तक पहुंच सकती है। ऑफिस के लिए महज दो महीनों के लिए जो व्यावसायिक जगह किराए पर ली जा रही हैं उसकी कीमत बाजार भाव से लगभग पांच गुनी है, जिस किराए पर कुर्सी-टेबुल लिए जा रहे हैं अगर उसकी खरीद भी हो तो कमेटी को इससे आधे से कम पैसे खर्च करने होंगे। मसला बड़ा है, पैसा भी और इससे जुड़े सियासतदां भी, तो आम जनता अपनी मामूली सी अंगुली उठाए भी तो किस पर… हम्माम में सब नंगे हैं।

 
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  1. Vilma Dasalia Says:

    I’d have to okay with you one this subject. Which is not something I usually do! I love reading a post that will make people think. Also, thanks for allowing me to speak my mind!

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