मोदी ही होंगे भाजपा के पीएम कैंडीडेट

September 01 2013


लाल कृष्ण अडवानी, मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज जैसे पार्टी दिग्गजों की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए नरेंद्र मोदी को भाजपा का ‘पीएम कैंडीडेटÓ घोषित करने की तैयारियां परवान चढ़ गईं हैं, आनेवाले 5 सितंबर को इस बात का ऐलान संभव है। नई दिल्ली में इस बात की घोषणा स्वयं पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह कर सकते हैं। इस पूरी योजना को अमलीजामा पहनाने के इरादे से संघ प्रमुख मोहन भागवत गुरूवार को अपने तीन दिवसीय प्रवास पर दिल्ली पहुंच चुके हैं। भागवत के साथ सुरेश सोनी समेत संघ नेताओं की पूरी एक टीम नागपुर से दिल्ली आ पहुंची है। इस प्रवास में भागवत मूलत: दो प्रमुख एजेंडे पर काम कर रहेें हैं। एक तो मोदी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की पार्टी फोरम से औपचारिक घोषणा को मुकम्मल करवाना, दूसरा संघ के एक पुराने एजेंडे में फिर से नई ऊर्जा भरना। सनद रहे कि संघ ने पूर्व में यह निर्णय लिया था कि भाजपा को एक नई सोच और एक नया चेहरा देने के परिप्रेक्ष्य में 75 साल से ज्यादा उम्र वाले भगवा नेताओं को सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट लेकर उन्हें पार्टी में ‘मेंटरÓ और अभिभावक की भूमिका में आ जाना चाहिए। दरअसल, संघ के निशाने पर अडवानी, जोशी, जसवंत सिंह सरीखे नेता हैं जो गाहे-बगाहे मोदी विरोध की अलख जगाते रहते हैं। संघ नहीं चाहता कि पार्टी में दो पॉवर सेंटर बनें और मोदी असंतुष्टïों की अगुवाई अडवानी करें। सूत्र बताते हैं कि संघ ने सुषमा स्वराज के उस ट्वीट को भी पापसंद किया है जिसमें उन्होंने पार्लियामेंट के इस मानसून सत्र के बाद यानी 5 सितंबर के बाद कॉलेज, यूनिवर्सिटी में जाकर युवाओं के बीच अपनी बात रखने की इच्छा जताई है। जबकि पार्टी में इस परिपाटी की शुरूआत कहीं पहले ही नरेंद्र मोदी कर चुके थे और उनके नई दिल्ली के श्रीराम कॉलेज और पुणे के फर्गुसन कॉलेज में दिए गए लेक्चर ने काफी ख्याति बटोरी थी। संघ नेतृत्व इस बात को भी पसंद नहीं कर रहा कि पार्टी के अंदर से जाने-अनजाने कहीं से भी मोदी के लिए कोई चुनौती उछले।
मोदी से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि पांच सितंबर का दिन नरेंद्र मोदी के लिए बहुत शुभ है। ऐसी उनके कुछ करीबी ज्योतिषियों और पंडितों की राय है। मोदी ने अपनी भावनाओं से कहीं पहले ही संघ प्रमुख मोहन भागवत और भाजपा प्रमुख राजनाथ सिंह को अवगत करा दिया था। सो, मोदी के लिए दिल्ली में सियासी रणनीति बुन रहे पार्टी के एक सीनियर नेता अरुण जेटली हालिया दिनों में कई मौकों पर खुलकर यह बयान दे चुके हैं कि अब वक्त आ गया है कि भाजपा मोदी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करे। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी कई मौकों पर पहले ही यह बात स्वीकार कर चुके हैं। सो, अडवानी, जोशी, सुषमा, जसवंत जैसे पार्टी दिग्गजों को मनाने और धमकाने की बागडोर इस दफे स्वयं भागवत ने संभाल ली है। इसके लिए संघ ने अपने एजेंडा नंबर दो की शत्र्तों को थोड़ा लचर भी बनाया है। दरअसल, पहले संघ इस बात को लेकर अडिग था कि 75 साल से ज्यादा उम्र वाले भगवा नेताओं को सक्रिय राजनीति को अलविदा करहना चाहिए अब संघ ने उनकी रिटायरमेंट की उम्र 75 से बढ़ाकर 80 वर्ष कर दी है। यानी संघ की नीयत कहीं साफ है कि वह अभी सिर्फ अडवानी एंड कंपनी को ही निपटाना चाहता है, वह एक साथ कई मोर्चे नहीं खोलना चाहता। अपने एजेंडा नंबर दो के इसी आलोक में संघ ने अडवानी, जोशी और जसवंत जैसे नेताओं से साफ कर दिया है कि वे आने वाले लोकसभा के 2014 का चुनाव नहीं लड़ेंगे इसके बदले पार्टी उन्हें राज्यसभा में लेकर आएगी। जबकि अडवानी इस दफे का संसदीय चुनाव भोपाल से, जोशी इलाहाबाद से और जसवंत सिंह अपने लिए राजस्थान की किसी माकूल सीट की तलाश में जुटे थे। पर संघ के इस हालिया फरमान से यह तीनों ही सीनियर नेता बेहद सकते में हैं, स्वयं मोहन भागवत दिल्ली में हैं और इन नेताओं से मिलकर उनकी बात सुनना चाहते हैं और संघ के निर्णय की अडिगता और अनिवार्यता से उन्हें वाकिफ भी कराना चाहते हैं।

 
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