मुंगेरीलाल के हसीन सपने |
September 26 2011 |
मोदी को लेकर नीतीश का सिर्फ वोट-बैंक का पंगा नहीं है अपितु इसमें व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षाओं व अहंकारों की टंकार भी कहीं प्रबल है। नीतीश जानते हैं कितनी आवाजें हैं जो हर बात पर उनका पीछा करती हैं। अपनी तमाम चीखों के बावजूद नीतीश की आवाज भी तमाम उन आवाजों में है शामिल। तमाम नाराजगी, सियासी असहमतियां और नरेंद्र मोदी के बावजूद अगर नीतीश भाजपा का दामन छोड़ पाने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहे हैं तो इसके पीछे है उनकी पीएम बनने की उद्दात महत्त्वाकांक्षाएं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने लगातार नीतीश को इस भ्रम में रखा है कि अगर 2014 में भाजपा अपना पीएम नहीं बनवा पाई तो उस सूरत में वह प्रधानमंत्री पद के लिए नीतीश का नाम आगे कर देगी। |
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