बस करो दिग्विजय

July 18 2011


मुंबई की हवाओं में हर तरफ अभी भी शेष है जले बारूद की गंध, अमोनियम नाइट्रेट जैसे शहर की सांसों में घुल गया हो, हर आती-जाती धड़कनें अभी भी जैसे आईईडी से कनेक्टहो, हर-सहमी इन्हीं आहटों के बीच दिग्विजय सिंह जैसा वोटों का कोई सौदागर अभी भी दहशतगर्दी फैलाने में जुटा है… ‘हिंदू आतंकवाद’ का नाम देकर, ये वही लोग हैं जो सिमी को बैन किए जाने के सबसे ज्यादा विरोध में थे, 2001 के 911 के बाद जब सिमी पर प्रतिबंध लगाया गया, तो धीरे-धीरे इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम) के तौर पर इसका एक नया आउटफिट विकसित हुआ, जिसके तार वाराणसी, बेंगलुरु, अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई लोकल बम धमाकों से जुड़े। इस मुंबई धमाकों में भी इसी आतंकी संगठन का हाथ बताया जाता है, सो तौकीर हो, सफदर नागोरी, अबू बशीर या कयामुद्दीन कपाड़िया इस ग्रुप से ज्यादातर पढ़े-लिखे यंग प्रोफेशनल्स जुड़े, इसके 60 आतंकी अभी भी गुजरात की साबरमती जेल में कैद हैं, बावजूद इसके हमारी खुफिया एजेंसियाें के पास आज भी आईएम का कोई मुकम्मल डॉसियर उपलब्ध नहीं, है न यह बड़े हैरत की बात?

 
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