प्रवचन अडवानी |
September 05 2010 |
भाजपा के सभी ‘फर्स्ट टाइमर’ यानी पहली दफा सांसद बने 45 संसद सदस्यों को दिल्ली से लगे नरेला के झिंझोली शिविर में राजनैतिक प्रशिक्षण के लिए ले जाया गया, संघी तर्ज पर यह एक दिन का प्रवास था, जिसमें अडवानी मुख्य वक्ता थे। पर उक्त शिविर में इस कदर अव्यवस्था का आलम था कि कुछ पूछिए मत, एक-एक कमरे में तीन-तीन सांसदों को ठहराया गया, भगवा सांसदों को सुबह चार बजे ही उठा दिया गया। दैनिक क्रिया, व्यायाम, योगा, सोना बाथ व मसाज के बाद नौ बजे परांठे, सब्जी व दही का नाश्ता दिया गया। कर्नाटक के बिचारे एक सांसद को तो सोते में चूहे ने काट लिया, जिन्हें बाद में रेबीज का इंजेक्शन लगवाना पड़ा। खैर, दस बजे से अडवानी का प्रवचन आहूत था, कोई सवा दो घंटे बोले अडवानी जी, पर तब तक आधे सांसद तो बैठे-बैठे सो गए थे, बाकी झपकी ले रहे थे, जो सामने की कतार में थे, वे बमुश्किल अपनी उनींदी आंखें खोल पा रहे थे, उस पर अडवानी का हर पल दो पल में तुर्रा था कि ‘आप अपनी नोट बुक्स निकाल लें, जरूरी नोट्स ले लें, मुख्य बिंदू नोट रहेगा तो भविष्य में आसानी होगी।’ पर भाजपा के भविष्य और चंद जगे सांसदों ने समवेत स्वर में कहा-‘नहीं सर, हमें याद रहेगा।’ क्या अडवानी का प्रवचन? या शिविर के कड़ुवे अनुभव? |
Feedback |