पीएम इन वेटिंग राहुल

August 28 2011


अगली बात यहां से शुरू करे कि क्या कांग्रेसी युवराज सरकार व प्रधानमंत्री के आधिकारिक लाइन में पलीता लगाने आए थे? या राहुल गांधी पार्टी के अंदर के एक नए सियासी खेल को कहीं आगे ले जाना चाहते हैं, वैसे भी राहुल की तमाम तरह के खेलों में पहले से दिलचस्पी रही है, विश्व कप में भारत की जीत के बाद वे मुंबई में सलमान खान के घर गए थे जहां रात भर जश्न हुआ था, पर राहुल को इस बात में ऐसा कुछ नहीं लगा कि एक बार अन्ना से मिलने वे अनशन स्थल तक जा पाते, राहुल अपनी स्पीच में ‘माईंड चेजिंग गेम’ का हवाला दे गए, कांग्रेस के अंदरखाने में भी कुछ ऐसा ही गेम शुरू हो चुका है। पहले के लोग पीछे हो गए हैं और राहुल की पूरी टीम ने एक तरह से अन्ना व लोकपाल के मसले को हाईजैक कर लिया है। यहां तक कि स्वयं प्रधानमंत्री से भी राहुल की इस मसले पर एक या दो बार बात हुई, वरिष्ठ नेताओं में सिर्फ प्रणब मुखर्जी से टीम राहुल निरंतर संपर्क में है, वरना अहमद पटेल सरीखे पार्टी के पुराने संकटमोचकों को भी दरकिनारे कर दिया गया है, इसे पूरे मसले पर अहमद पटेल से टीम राहुल ने उनकी राय लेनी भी जरूरी नहीं समझी। यानी लोकपाल कांग्रेस के नए द्वारपाल के लिए संभावनाओं की आहट खोल रहा है, पूरी टीम राहुल, उनकी बहन प्रियंका का संसद के दर्शक दीर्घा में यूं आना, शायद हौले से इस बात की चुगली कर रहा है-‘क्या तेज जगमगाती थी कातिल के हाथ में अब उसकी आस्तीन में तो खंजर भी न रहा।’

 
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