द् सिंह इज किंग

February 27 2011


कांग्रेस का सियासी वातायन 10 जनपथ बनाम 7 रेसकोर्स की अघोषित जंग की टंकार से गुंजायमान है। कथित तौर पर एक कमजोर प्रधानमंत्री की इतनी दृढ़ भाव-भंगिमाएं जैसे कभी देखी नहीं गई थीं। कांग्रेस की सर्वशक्तिमान सोनिया गांधी बदलते वक्त और रंग बदलती राजनीति में बेचारगी की ऐसी प्रतर्िमूत्ति कभी नहीं लगी थीं क्या इसे महज एक संयोग माना जाए कि रविवार को इसी कॉलम के अंतर्गत पहली-पहली बार यह सत्य उद्धाटित होता है कि सोनिया और पीएम के बीच सब ठीक-ठाक नहीं चल रहा, पार्टी और सरकार के बीच खींचातनी है। आनन-फानन में 10 जनपथ को सूचित किए बगैर बुधवार को पीएम के हितैषी रणनीतिकार न्यूज चैनल संपादकों की प्रेस-कांफ्रेंस बुला लेते हैं। और जरा गौर फर्माइए पीएम उसमें सफाई क्या देते हैं, जो बातें सिलसिलेवार ढंग से इस कॉलम में प्रकाशित हुई थीं-मसलन सरकार व पार्टी में कोई तनातनी नहीं है’, ‘मैंने कभी इस्तीफे की धमकी नहीं दी…’ आदि-आदि। यानी दाल में कुछ काला है।

 
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