दादा का केस और उनका ब्रीफकेस

July 15 2012


रायसीना हिल्स पर काबिज होने के लिए प्रणब दा वे सब कुछ कर रहे हैं जो वक्त की मांग है। जाहिर है कि वक्त सब कुछ सिखा देता है। दादा जो अपने पॉलिटिकल मैनेजमेंट के लिए जाने जाते हैं इस दफे गिनतियों के पेंचोखम में ज्यादा उलझ गए हैं। सो, वे घूम-घूम कर राष्ट्रपति चुनाव के वास्ते अपने लिए संख्या बल इकट्ठा कर रहे हैं और छोटी-बड़ी पार्टियों के क्षत्रपों से मिलने में भी गुरेज नहीं कर रहे। जैसे इस दफे रांची से लौटते वक्त और वहां झारखंड मुक्ति मोर्चा को एनडीए से अलग कर देने का दंभ भरते दादा ने फ्लाइट में अपना पसंदीदा ब्रीफकेस मंगाया उसमें से इलेक्ट्रोल कॉलेज की लिस्ट निकाली और अपनी डायरी में बाईं तरफ उन्होंने कुछ गिनती बल लिखे और फिर उनके अधरों पर एक विजयी मुस्कान तैर गई। सूत्र बताते हैं इसमें कुछ भी नया नहीं है वे दिल्ली से बाहर जहां जिन राज्यों में जाते हैं और अपनी वापसी की फ्लाइट में ऐसा ही कुछ उपक्रम साधते हैं। दादा को बखूबी इस बात का इल्म है कि रायसीना हिल्स पर काबिज कराने में विनती के बजाए गिनती उनके लिए ज्यादा कारगर रहने वाली है।

 
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