क्रैश एक संभावनाओं का |
May 08 2011 |
अरुणाचल के हेलिकॉप्टर दुर्घटना में देश ने एक उदीयमान शासक खो दिया तो कांग्रेस ने वहां अपना भविष्य। दुर्घटना के कारणों की पड़ताल हो रही है और प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि यह नेविगेशन सिस्टम की फेल्योर की वजह से हुआ। सो केंद्र सरकार गंभीरता से इस बारे में विचार कर रही है कि उत्तर-पूर्व की उड़ानों के तमाम नेविगेशन प्रणाली का जिम्मा गृह मंत्रालय के अधीनस्थ कर दिया जाए। हेलिकॉप्टर के लिए एक सख्त व सामान्य नियम है कि उसे हमेशा बादलों के नीचे उड़ना चाहिए, मगर बादल पहाड़ पर जमे हों तो? ऐसे में पायलट कोशिश करता है कि वह उसे बादलों के ऊपर से उड़ाए, मानव चूक हो सकती है, ऊंचाई मापने में गलती हो गई हो। एक सर्वप्रमुख रहस्योद्धाटन हुआ है कि नार्थ-ईस्ट की कई पहाड़ियों का मैगनेटिक फील्ड बहुत ही सशक्त है, जैसे हॉफलांग का जटिंगा, उसके ऊपर से (एक खास एरिया में) अगर कोई पंछी भी उड़ान भरता है तो वह धम्म से नीचे आ गिरता है, दोरजी खांडू के सिंगल इंजिन हेलिकॉप्टर मामले में भी इन्हीं संभावनाओं को टटोला जा रहा है। |
Feedback |