क्या है दादा का इरादा |
February 23 2011 |
प्रणब दा भी अपने ठसके में रहने के आदी हैं। उन्हें अब भी यह गुमान सताए जाता है कि जब वे देश के वित्त मंत्री थे तो मनमोहन उनके पांचवें नंबर के अफसर हुआ करते थे, और तब उनके लिए दादा से सीधा मिल पाना प्रोटोकॉल के लिहाज से इतना आसान नहीं था, तो अब अपने उसी पुराने असफर से दादा सीधा निर्देश कैसे ले सकते हैं? दादा ने अभी दो एक रोज पहले मंत्रालय का एक बड़ा प्रोग्राम किया कि बैंकों को कैसे गांवों की ओर ले जाया जाए, उस कार्यक्रम में सोनिया तो उपस्थित थीं, पर प्रधानमंत्री को बुलाने की या न्यौता देने की दादा ने जरूरत ही नहीं समझी। यानी जंग का ऐलान अब हो चुका है। |
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