कैसे आई पचौरी की बारी?

January 24 2012


पर कृष्ण की नगरी मथुरा के पंकज पचौरी को न तो पुलक को रिपोर्ट करने से परहेज था और न ही भाषायी पत्रकारों से कोई खास एलर्जी, वैसे भी पंकज के हिंदी पत्रकारों से अच्छे रिश्ते हैं। इनकी पत्नी मराठी हैं, चुनांचे भाषायी पत्रकारों में भी इनकी पहुंच है। पर पीएमओ में अभी भी यह चर्चा चल रही है कि पंकज पीएम की आखिरी च्वॉइस नहीं है, जब तक खरे के स्थानापन्न की तलाश पूरी नहीं हो जाती है तब तक वे बने रहेंगे। लगता है कि यह खबर बाहर भी लीक हो गई है इसीलिए तो महज औपचारिक मुलाकात के लिए पंकज ने प्रणब मुखर्जी व अडवानी से जब मिलने का टाइम मांगा तो इन दोनों ही जगहों पर उन्हें निराशा हाथ लगी।

 
Feedback
 
Download
GossipGuru App
Now!!