कृपा शंकर पर कैसे हुई कृपा?

March 06 2012


मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृपा शंकर सिंह पर कानून का शिकंजा कसता ही जा रहा है। दरअसल कृपा शंकर उस कांग्रेसी रणनीति के शिकार हो गए, जिस फार्मूले के तहत कांग्रेस अपने चिरंतन विरोधियों और क्षत्रपों को काबू में रखने के लिए उनके खिलाफ अपना कोई व्यक्ति या संस्था (एनजीओ) लगाकर उसके खिलाफ तमाम तरह के सुबूत इक्कट्ठे करती है, फिर उनके माध्यम से कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करवा दी जाती है। और बाद में ऐसे मामलों को सीबीआई को जांच के लिए सौंप दिया जाता है। जैसा कि दिवंगत राजशेखर रेड्डी के पुत्र जगनमोहन रेड्डी के मामले में हुआ। माना जाता है कि महाराष्ट्र कांग्रेस के एक खेमे ने ही अपनी पहल पर एक उत्तर भारतीय दीपक तिवारी से मुंबई हाई कोर्ट में कृपा शंकर के खिलाफ एक पीआईएल दाखिल करवाई, कोर्ट ने इसी याचिका को एफआईआर मान लेने का आदेश जारी कर दिया। इस मामले में कांग्रेसी खेमे ने यह चतुराई बरती कि उन्होंने किसी मराठी से यह पीआईएल दर्ज नहीं करवाई कि मुंबई में केले बेचने वाला एक व्यक्ति 400 करोड़ रुपयों की अकूत संपत्ति का कैसे मालिक बन गया? ऐसी स्थिति में यह मामला मराठी मानुष बनाम उत्तर भारतीय हो जाता और कृपा शंकर इस क्रम में हीरो बन जाते। सूत्र बताते हैं कि कृपा शंकर के बाद यह कांग्रेसी ब्रह्मास्त्र पीआईएल शरद पवार पर चल सकता है जो महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में बुरी तरह मुंह के खा चुके हैं।

 
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