…और अंत में

November 21 2009


अडवानी अपने सियासी जीवन की आखिरी निर्णायक पारी खेलने को इस कदर बेकरार हैं कि वे अपने जनजागरण अभियान के लिए भारत भ्रमण करने का इरादा रखते हैं, पर पार्टी में कोई भी उनकी इस इच्छा का सम्मान करने वाला नहीं बचा है, सो मन मार कर अडवानी ने एक रोज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह को सीधे फोन लगा दिया कि ‘अपनी स्टेट में मेरी मीटिंग रखवाओ।’ रमण सिंह ने यह बात रामलाल से कह दी और रामलाल ने यह बात भाजपा में फैला दी कि ‘मीटिंग तो संगठन तय करता है, सीएम नहीं।’ सो अंत में रमण सिंह को फोन कर अडवानी को इत्तला भेजनी पड़ी कि ‘सर आपकी मीटिंग लेने के लिए फिलहाल कोई तैयार नहीं।’ नतीजन यह जन जागरण अभियान कैंसिल हो गया है। चुनांचे यह जन जागरण अभियान अडवानी के लाख चाहने के बावजूद सिरे नहीं चढ़ पाया है, क्योंकि भाजपा में फिलवक्त जन जागरण नहीं अपितु मन जागरण की ज्यादा जरूरत है।

 
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