इस रात की सुबह नहीं |
April 16 2010 |
‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ भाजपा को अंधेरे से उजाले की ओर लाने में पार्टी के नवेले अध्यक्ष नितिन गडकरी खासी मशक्कत कर रहे हैं। भगवा संसार के बेदर्द फलक पर अपने अनगढ़ हाथों से खींच दी है उन्होंने आड़ी-तिरछी कई आकृतियां, जिसमें न रंग का पता है न संयोजन का, सो रोज-ब-रोज की कश्मकश से चुगकर कार्यों की एक फेहरिस्त तैयार की जाती है और सुबह पांच बजे तक काम करती है उनकी किचेन कैबिनेट यानी अनंत कुमार, पीयूष गोयल, किरीट सोमैय्या किसी के पास न सोने की फुर्सत है, न कुछ खोने की, दरअसल गडकरी की यह किचेन कैबिनेट पार्टी से जुड़े अहम फैसले लेने के लिए जुटती ही है रात के 12 बजे, और मध्य रात्रि 2 से 4 के बीच सबसे महत्वपूर्ण फैसले लिए जाते हैं। चुनांचे अगर अध्यक्ष जी सुबह के 5 बजे सोने जाएंगे तो उठेंगे कब? आम तौर पर तो दोपहर के 12 बज ही जाते हैं और आप अध्यक्ष जी के घर उन मुलाकातियों के चेहरों पर 12 बजता देख पाएंगे, जिन्हें अध्यक्ष जी सुबह मिलने का वक्त देते हैं…चलो, सुबह का भूला अगर… |
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