आखिरकार वरूण गांधी के पीछे उनकी अपनी पार्टी ही क्यों पड़ी है? |
October 23 2016 |
गूंगी खामोशियों की सदाएं उससे होकर भी गुजरती रहीं, जानता था वह कि नहीं है यह वक्त उसके मुफीद, फिर भी चुनता रहा चंद कच्चे-पक्के लम्हे, अपने जीने की वजह ढूंढते, ऐसे वक्त जबकि यूपी के ज्यादातर जनमत सर्वेक्षण वरूण गांधी को भगवा राजनीति का सबसे लोकप्रिय चेहरा बता रहे थे, ऐसे में इस युवा गांधी पर एक सुविचारित सियासी हमला होता है ’हनी ट्रैप’ की आड़ में। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पैदा हुए राष्ट्रवाद के उफान पर भगवा मुलम्मा चढ़ाने में जुटी पार्टी और उसके पुरोधाओं ने यकीनन एक बदलाव की राजनीति की आहटें सुनी होंगी। आहटें कि कैसे उनकी ही पार्टी का एक युवा नेता प्रदेश के मज़लूम किसानों की तकदीर बदलने की लड़ाई लड़ रहा है। पिछले ढाई वर्षों में वरूण ने यूपी के कर्ज में डूबे किसानों को अपनी पहल से 18 करोड़ रूपयों की मदद पहुंचाई, जिसमें से डेढ़ करोड़ रूपए उनके स्वयं के थे और बाकी के 16.5 करोड़ की रकम उन्होंने स्थानीय समृद्ध लोगों से चंदे के तौर पर जुटाए। ऐसे जरूरतमंद किसानों की शिनाख़्त के लिए उन्होंने कुछ कड़े मापदंड तय किए। मसलन, मदद उन्हीं किसानों की होगी जो चार बार या उससे ज्यादा बैंक का लोन चुकाने में डिफॉल्टर रहा हो, तीन बार जिसकी फसल बर्बाद हो गई हो,, जिनके नाम अपनी कोई संपत्ति नहीं है। इस क्रम में कोई 3662 किसानों को अब तक कर्ज मुक्त किया जा चुका है। वरूण की टीम ने पाया कि कर्ज मुक्त हुए किसानों में से 15 फीसदी फिर से कर्ज के मकड़जाल में फंस गए हैं। सो, वरूण ने तय किया कि इसके लिए समग्र नीति बनाने की आवश्यकता है, चुनांचे वरूण ने एक ऐसी वेबसाइट बनाने की पहल की है जिसमें इस असहाय किसानों का पूरा ब्यौरा अपलोड होगा, और इस साइट को सीधे दुनिया के अमीर लोगों से कनेक्ट किया जाएगा, जिससे कि इन गरीब किसानों की सुध ली जा सके। यूपी के 20 से ज्यादा जिलों का सघन दौरा करने के बाद वरूण ने देखा कि ज्यादातर किसान 30 हजार से लेकर डेढ़ लाख रूपयों के कर्ज में डूबे हुए हैं। यह आंकड़े स्थानीय बैंकों से लिए गए और फिर जांच पड़ताल के बाद लाभार्थियों की सूची बनाई गई। इसके अलावा वरूण ने निराश्रितों के लिए उन्हें अपने पैसों से पक्का मकान देने की योजना पर भी काम करना शुरू कर दिया है, 100 से ज्यादा निराश्रित लोगों को पक्के मकान अब तक सौंपे जा चुके हैं। ’आओ सारे पहन ले आइने, सारे देखेंगे अपना ही चेहरा। रूह अपनी भी किसने देखी है?’ |
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