अरुणाचल में छल |
November 06 2011 |
समझा जाता है कि अरुणाचल में नेतृत्व परिवर्तन का अकस्मात निर्णय दस जनपथ का अपना था। नार्थईस्ट में अरुणाचल प्रदेश और असम दो राज्य ऐसे हैं जहां ईसाईयों के अलावा अन्य धर्मावलंबियों की संख्या भी कहीं ज्यादा है। अरुणाचल व असम में तो संघ भी काफी सक्रिय है और संघ की काट के तौर पर इन दोनों राज्यों में ईसाई मिशनरियां भी खासी एक्टिव है। अरुणाचल चीन की सीमा से लगा है और यहां बौध्द धर्मावलंबियों की संख्या कहीं ज्यादा है। अरुणाचल के दो जिलों तिरप और चांगलांग में नगा गुट काफी सक्रिय हैं, जिन पर अक्सरां ये आरोप लगता है, कि ये गुट लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करता है, यानी यह गुट सीधे तौर ईसाई मिशनरियों को फायदा पहुंचाता है,अरुणाचल के पूर्व मुख्यमंत्री जारबोम गामलिन ने नगा गुट पर काफी सख्ती बढ़ा दी थी, सो ईसाई मिशनरियां इस बात से उनसे काफी नाराज थीं, सो नायिशी कम्यूनिटी के नबम टुकी को सोनिया के निर्देश पर राज्य की कमान सौंप दी गई, सनद रहे कि टुकी का ईसाई धर्म में अटूट विश्वास है और उनको मुख्यमंत्री बनाने के लिए राज्य के गिरिजा घरों में खूब प्रार्थनाएं भी हुई थीं, प्रार्थना प्रभु तक जरूर पहुंची होगी तभी तो मैडम ने सुन लिया। |
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