अडवानी की खुशफहमी

May 18 2010


लाख सियासी झंडावात झेलने के बावजूद अडवानी जी की खुशफहमी है कि कभी जाती नहीं। पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा की इतनी बुरी फजीहत के बाद अपने अशेष सपनों के साथ अडवानी की पीएम बनने की महत्वाकांक्षा अब भी जिंदा है। अडवानी के एकमुंह लगे नेता हैं जो थोड़ा-बहुत भविष्यफल भी बांच लेते हैं, उन्होंने पिछले दिनों अडवानी से कहा कि देश के सियासी योग के ग्रह-नक्षत्रों की दिशा को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि एक वर्ष के अंदर मनमोहन सिंह की सरकार गिर जाएगी और देश में फिर से मध्यावधि चुनाव की नौबत आ सकती है और इन चुनावों में अडवानी के नेतृत्व में भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ केंद्र में सरकार बनाने की स्थिति में होगी। सो, अडवानी की महत्वाकांक्षाओं को जब नए पंख लग गए, तो संघ सचेत हुआ और संघ ने आनन-फानन में यह घोषणा कर डाली कि नरेंद्र मोदी ही भाजपा के प्रधानमंत्री पद के अगले उम्मीदवार होंगे, यकीनन यह अडवानी जी को आहत करने का संघ का एक सफल उपक्रम था।

 
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