झारखंड में भाजपा की चुनौतियां बढ़ीं |
November 17 2019 |
झारखंड के आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा की पेशानियों पर बल पड़ने शुरू हो गए हैं, महाराष्ट्र और हरियाणा के हालिया विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद भगवा रणनीतिकार झारखंड को लेकर अपनी नीति बदलने पर मजबूर हो गए हैं। वहीं महाराष्ट्र-हरियाणा के नतीजों से उत्साहित विपक्षी दलों ने अपनी गठबंधन नीति को और भी आक्रामक बनाना शुरू कर दिया है। 2019 के लोकसभा चुनावों में झारखंड में भाजपा-आजसू (ऑल इंडिया झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन) के साथ मिल कर चुनाव लड़ी थी, इस विधानसभा चुनाव में भी दोनों दलों का यह गठबंधन बना रह सकता है। बस सीटों के बंटवारे का फार्मूला अभी अपने निर्णायक दौर में नहीं पहुंच पाया है। इन चुनावों में वहां का प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा देश में छाई आर्थिक मंदी और घटती नौकरियों का एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने जा रहा है। कांग्रेस झारखंड में भी विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल का ’ब्लू-प्रिंट’ पेश करने जा रही है, छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह बघेल की झारखंड में धुआंधार चुनावी सभाएं लगाने की योजना है। जबकि कांग्रेस को उस वक्त झारखंड में जोरदार झटका लगा जब उसके प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार कांग्रेस छोड़ कर आम आदमी पार्टी में षामिल हो गए। |
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