चंदा जुटाने अमेरिका गए राहुल

September 18 2017


कांग्रेसी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ताजपोशी की तैयारियां जोरों पर है, बतौर कांग्रेस अध्यक्ष उनके राजतिलक का ऐलान 19 नवंबर उनकी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी के 100 वें जन्मदिन से पहले किसी भी दिन हो सकता है और इस बात के संकेत कांग्रेस के बड़े नेताओं के बोल वचन से मिलने लगे हैं। वीरप्पा मोइली का तो बकायदा बयान आ गया है। ऐसे में राहुल गांधी के समक्ष सबसे महती चुनौती कांग्रेस के खाली पड़े खजाने के लिए चंदा जुटाने की है। क्योंकि यह राहुल भी जानते हैं कि बगैर धन और बड़े मन से 2019 में मोदी-शाह जोड़ी से मुकाबला नहीं किया जा सकता है। सो इस बार राहुल की अमेरिका यात्रा का मकसद पार्टी खजाने के लिए फंड जुटाने का भी था। सूत्र बताते हैं कि राहुल और उनकी कोर टीम ने 10 मिलियन डॉलर चंदा जुटाने का लक्ष्य रखा था। राहुल की कोर टीम लगातार राहुल के कार्यक्रमों को अमेरिका में संचालित कर रहे कांग्रेस के ओवरसिज विंग के अध्यक्ष सैम पित्रौदा के संपर्क में थी। सूत्रों की मानें तो पित्रौदा ने शुरू में ही साफ कर दिया था कि इस दफे इतनी बड़ी रकम जुटा पाना राहुल के लिए मुमकिन नहीं होगा, पित्रौदा का तर्क था कि अमेरिका में अनिवासी भारतीयों में दो समुदायों के पास ही सबसे ज्यादा पैसा है, इसमें से एक सिख हैं तो दूसरे गुजराती। 1984 के सिख दंगे के बाद से ही सिख समुदाय और कांग्रेस के बीच एक स्वाभाविक दूरी बन गई है, वहीं गुजराती समुदाय गुजराती कनेक्शन के चलते मोदी के सिवा किसी और को पैसे ही नहीं देना चाहता। ऐसे में राहुल के साथ अमेरिका जा रही कोर टीम ने ये प्रस्ताव रखा कि राहुल के साथ अमेरिका में लंच या डिनर करने की एक बड़ी कीमत रखी जाए, पर यह योजना भी सिरे नहीं चढ़ पाई।

 
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