Posted on 15 March 2023 by admin
’हम भी खूब समझते हैं दोस्त तेरे इरादों को
बातें मीठी-मीठी और खून सने तेरे हाथों को’
एक ओर जहां कर्नाटक चुनाव भाजपा के लिए उसकी नाक का सवाल बना हुआ है, ऐसे में भाजपा के ही एक पूर्व मंत्री और खनन कारोबारी जी. जनार्दन रेड्डी का भगवा छाती पर मूंग दलना पार्टी को रास नहीं आ रहा। रेड्डी ने भाजपा से संबंधविच्छेद कर 25 दिसंबर 2022 को अपनी नई पार्टी ’कल्याण राज्य प्रगति पक्ष’ लांच कर दी, यही बात है जो भगवा पार्टी को नागवार गुज़र रही है। सीबीआई ने न सिर्फ रेड्डी बंधुओं पर तेजी से अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, बल्कि अभी हालिया दिनों में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने चार देशों यानी स्विटजरलैंड, सिंगापुर, ऑयल ऑफ मैन और यूएई की सरकारों को पत्र लिख कर रेड्डी बंधुओं के 2008 से 2012 के दौरान हुए तमाम लेन-देन का ब्यौरा मांगा है। दरअसल, कर्नाटक के आसन्न चुनाव में भाजपा को यहां कड़े संघर्षों से गुजरना पड़ रहा है, वहीं भाजपा को रिपोर्ट मिली है कि ’राज्य की कम से कम 15 विधानसभा सीटों पर रेड्डी बंधु कांग्रेस को फायदा पहुंचा रहे हैं’, माना जाता है कि कर्नाटक के रायचूर, यादगीर, कोप्पल, बीदर, विजयनगर और बेल्लारी जिलों में रेड्डी बंधुओं का खासा असर है। जनार्दन रेड्डी स्वयं कोप्पल की गंगावती सीट से और उनकी पत्नी अरूणा लक्ष्मी बेल्लारी शहर से आने वाले विधानसभा चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। कर्नाटक के भाजपा नेताओं ने यह बात अमित शाह तक पहुंचा दी है, शाह ने उनसे शांत रहने को कहा है। इसके तुरंत बाद कर्नाटक के सीएम बोम्मई का बयान आ जाता है कि ’रेड्डी अपनी पुरानी पार्टी यानी भाजपा में वापसी करेंगे’, पर जनार्दन रेड्डी इस दावे को अफवाह करार देते हैं। सनद रहे कि जर्नादन के दोनों भाई अभी भाजपा में विधायक हैं। जनार्दन रेड्डी ने तय किया है कि ’वे भाजपा और कांग्रेस के बड़े बागियों को अपनी पार्टी का टिकट देंगे साथ ही चुनाव लड़ने के लिए 5 करोड़ रुपयों की आर्थिक मदद भी देंगे’। जनार्दन रेड्डी को ऐसा लगता है कि ’जब उन पर अवैध खनन को लेकर जांच एजेंसियों का भारी दबाव था तब भाजपा ने उनका साथ नहीं दिया’, इनको ऐसा भी लगता है कि ये जाने-अनजाने पार्टी में बीएल संतोष बनाम येदुरप्पा की लड़ाई में बलि चढ़ गए, क्योंकि ये हमेशा से येदुरप्पा के वफादार सिपाहियों में शुमार होते थे। सनद रहे कि रेड्डी बंधु तब सुर्खियों में आए थे जब भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज ने सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी से चुनाव लड़ा था, जब इन्होंने इस लड़ाई में सुषमा का पूरा साथ दिया था, वे सुषमा को ’मां’ का संबोधन देते थे और सुषमा भी दस वर्षों तक लगातार रेड्डी बंधुओं द्वारा आयोजित ‘वारा महालक्ष्मी’ की पूजा में शामिल होने के लिए बेल्लारी जाती रहीं।
Posted on 15 March 2023 by admin
भाजपा शीर्ष ने एक तरह से यह फैसला कर दिया है कि ’आने वाले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में यहां के मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया के चेहरों पर ही चुनाव लड़ा जाएगा।’ सूत्र बताते हैं कि पार्टी के अंदरूनी सर्वेक्षणों के नतीजों ने भगवा शीर्ष को यह फैसला लेने पर मजबूर कर दिया है। पार्टी को प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक अगर शिवराज या वसुंधरा को छेड़ा गया तो आगामी चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। नहीं तो अब तक यह कयास लगाए जा रहे थे कि उत्तराखंड, गुजरात व त्रिपुरा के फार्मूले को मध्य प्रदेश में भी लागू किया जाएगा और वहां के मौजूदा सीएम शिवराज चौहान को दिल्ली बुला कर केंद्र सरकार में कोई महती जिम्मेदारी दी जाएगी। पर विश्वस्त सूत्रों की मानें तो भाजपा की एक उच्च स्तरीय कोर कमेटी की बैठक में स्वयं पीएम मोदी ने इस आइडिया को सिरे से नकार दिया और उन्होंने कहा कि ’मुख्यमंत्री बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, कई अच्छी और नई योजनाएं लेकर आए हैं, पार्टी कैडर को इन योजनाओं का प्रचार लोगों में करना चाहिए।’ इससे इस बात के साफ संकेत मिलते हैं कि नवंबर 23 में आहूत होने वाले मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में शिवराज ही भाजपा की ओर से सीएम फेस होंगे। रही बात राजस्थान की तो इस 4 मार्च को सालासर में वसुंधरा राजे ने अपने जन्मदिवस के मौके पर एक बड़ा शक्ति प्रदर्शन कर पार्टी में अपने विरोधियों को लगभग चौंका ही दिया। वसुंधरा के इस शक्ति प्रदर्शन में भाजपा के 70 में से 50 विधायकों की उपस्थिति दर्ज हुई, जो एक हैरान करने वाली बात थी। इस समारोह में हिस्सा लेने के लिए भाजपा के राजस्थान प्रभारी अरूण सिंह भी खास तौर पर सालासर पधारे जो कि कहीं न कहीं इस बात का संकेत था कि वसुंधरा का दिल्ली के साथ मेल मिलाप हो चुका है। और पार्टी आने वाले चुनाव में वसुंधरा को ही अपने सीएम फेस के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकती है। उस समारोह में वसुंधरा समर्थकों ने एक दिलचस्प नारा भी लगाया-’केसरिया में हरा हरा, राजस्थान में वसुंधरा।’
Posted on 15 March 2023 by admin
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे का चुनाव 19 अक्टूबर 2022 को ही हो गया था और एक सप्ताह बाद 26 अक्टूबर को उन्होंने अपना कार्यभार भी संभाल लिया था। तब से लेकर अब तक पांच महीने हो गए पर खड़गे अब तलक अपनी नई टीम ही नहीं बना पाए हैं। खड़गे ने अध्यक्ष बनते ही पार्टी की तमाम मौजूदा कमेटियों को भंग कर दिया था कि ’नई टीम अब वहां विराजमान होगी,’ पर अब तक पार्टी का कामकाज उस 47 सदस्यीय स्टीयरिंग कमेटी के भरोसे ही चल रहा है। पूछने पर खड़गे करीबी बताते हैं कि ’चूंकि गांधी परिवार ने साफतौर पर कह दिया है कि नई कमेटियां गठित करने में सोनिया, राहुल अथवा प्रियंका का कोई दखल नहीं होगा, सो खड़गे पार्टी के अलग-अलग ग्रुप से मिल रहे हैं और उनके मन की थाह जान रहे हैं।’ सूत्र बताते हैं कि खड़गे की नई टीम का खाका लगभग तैयार हो चुका है। सूत्रों का दावा है कि खड़गे अपेक्षाकृत एक छोटी टीम गठित कर रहे हैं, जो कहीं न कहीं पूर्व के राजीव गांधी की टीम साइज से प्रेरित हैं। केवल छह महासचिव बनाए जा सकते हैं, एक महासचिव के पास अमूमन 5 राज्यों का प्रभार हो सकता है, उनके नीचे सचिवों का नेटवर्क होगा, एक सचिव को एक राज्य की जिम्मेदारी मिल सकती है। सचिव अपने संबंद्ध महासचिव को रिपोर्ट करेगा। 2024 के आम चुनाव को मद्देनज़र रखते एक चुनाव प्रबंधन समिति के गठन पर भी विचार हो रहा है और इसके बाद एक पूरे इलेक्शन डिपार्टमेंट का भी गठन किया जाएगा। इसी इलेक्शन डिपार्टमेंट को लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनावों की भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। पार्टी में अभी से इस बात को लेकर खुसफुसाहट तेज है कि ’जहां भाजपा ने विधानसभा चुनावों के लिए अभी से शंखनाद कर दिया है, कांग्रेस की ओर से कोई ऐसी तैयारी दिखती नहीं है।’ खड़गे न तो चुनावी राज्यों का दौरा कर रहे हैं और न ही पार्टी के सीनियर लोगों को वहां भेज रहे हैं। पूर्वात्तर के चुनावों में भी खड़गे सिर्फ एक रोज शशि थरूर के साथ नगालैंड गए थे। कर्नाटक उनका गृह राज्य है, जहां चुनाव होने हैं, वहां भी खड़गे सिर्फ एक दिन के लिए गए हैं। पूर्वोत्तर की 180 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ 8 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई है, पार्टी जनों के लिए यही चिंता का विषय है।
Posted on 15 March 2023 by admin
पिछले दिनों बिहार कांग्रेस की प्रदेश अनुशासन समिति ने कृपाशंकर पाठक की अध्यक्षता में प्रदेश के 5 नेताओं सिद्धार्थ क्षत्रिय, प्रभात कुमार चंद्रवंशी, अरशद अब्बास आजाद, शकीउर रहमान और प्रवीण शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन नेताओं पर अपने प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बारे में सोशल मीडिया में चंद कथित वित्तीय लेन-देन को लेकर कुछ ऑडियो और वीडियो क्लिप वायरल करने के आरोप हैं। अब बिहार कांग्रेस का एक धड़ा इस अनुशासन कमेटी पर ही सवाल उठा रहा है कि ’यह कमेटी ही नकली है, यह एक भंग कमेटी है।’ इनका तर्क है कि ’जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने पार्टी की तमाम चुनी हुई कमेटियों को पहले ही भंग कर दिया है तो इस अनुशासन समिति का अस्तित्व कहां से बचा रह गया है?’ कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने इस 5 सदस्यीय अनुशासन कमेटी का गठन दिसंबर 2021 में किया था, जिसका अब कायदे से कोई अस्तित्व नहीं बचा है। सोशल मीडिया पर इन दिनों अखिलेश प्रसाद के भाजपा नेता राजीव प्रताप रूढ़ी के साथ उनके आत्मीय संबंधों को लेकर भी खूब हाय-तौबा मची है। वहीं चंद पार्टी नेताओं का दावा है कि ’यह सारा मामला कांग्रेस में डेलिगेट बनाने से लेकर जुड़ा है,’ अखिलेश पर आरोप लग रहे हैं कि ’उन्होंने डेलीगेट्स सूची में 70 फीसदी अपने करीबी लोगों के नाम डाल दिए हैं।’
Posted on 15 March 2023 by admin
मेघालय में जब कॉनरेड संगमा ने दुबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उस समारोह में स्वयं पीएम मोदी, भाजपा अध्यक्ष नड्डा और देश के गृह मंत्री अमित शाह मौजूद रहे। भाजपा ने अपने दो विधायकों के साथ कॉनरेड सरकार को अपना समर्थन भी दिया है। दिलचस्प है कि चुनाव प्रचार के दौरान मेघालय के शिलांग की एक जनसभा में स्वयं अमित शाह ने अपने एक भाषण में खम्म ठोक कर कहा था कि ’भाईयों और बहनों, देश में अगर कोई सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री है तो वह हैं कॉनरेड संगमा, जब हमारी सरकार आएगी तो हम प्रदेश को एक भ्रष्टाचार मुक्त शासन देंगे।’ अब यह क्या हो रहा है?
Posted on 15 March 2023 by admin
त्रिपुरा में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे चल रही थीं केंद्रीय सामाजिक न्याय और आधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक। उन्होंने सांसद होने के बावजूद विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत गईं। बावजूद इसके पार्टी शीर्ष ने उनके बजाए माणिक साहा पर अपना भरोसा दिखाया और वे फिर से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री चुन लिए गए। अब भौमिक चाहती है कि वह अपनी विधानसभा की सीट छोड़ कर अपनी सांसदी कायम रखें जिससे केंद्र सरकार में मंत्री बने रहने का उनका मार्ग खुला रहे। वहीं भाजपा की त्रिपुरा में मुश्किल है कि 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में उसके 32 विधायक ही जीते हैं यानी बहुमत से सिर्फ दो अधिक, तो क्या ऐसे में पार्टी भौमिक के इस्तीफे का रिस्क लेना चाहेगी?
Posted on 15 March 2023 by admin
भाजपा की अयोध्या में 1 जनवरी 2024 से लेकर 31 जनवरी 2024 तक राम मंदिर निर्माण के भव्य उत्सव की तैयारी है, 14 जनवरी के बाद किसी भी दिन इस भव्य राम मंदिर का उद्घाटन नरेंद्र मोदी के कर कमलों से होना है, और भाजपा की मंशा देश को यह संदेश देने की है कि ’अगर हिंदुत्व का कोई सच्चा रक्षक है तो वे हैं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी!’
Posted on 15 March 2023 by admin
’कलम अगर खामोश हो तो, आतुर शब्दों की बेबसी समझिए
शब्द अब बिकते कहां हैं, खरीदे भी नहीं जाते
यूं ही मुरझा जाते हैं, बंद मुख के अंदर’
जातियों को साधने की बाजीगरी में भाजपा का कोई जवाब नहीं, अबतलक भगवा रणनीतिकार सोशल इंजीनियरिंग के बेताज बादशाह साबित हुए हैं, पर यह भगवा कारवां जब पश्चिमी यूपी पहुंचता है तो वहां उससे बड़ी चूक हो जाती है। खतौली उप चुनाव जीतने के लिए जयंत चौधरी ने अपने स्वर्गीय दादा चौधरी चरण सिंह के ’मजग’(मुस्लिम, जाट व गुर्जर) फार्मूले पर दांव लगाया था और यह सीट अपनी झोली में कर ली थी। अभी हाल में संपन्न हुए यूपी के जिला पंचायतों के चुनाव में भले ही जाट व गुर्जर जातियों ने मिल कर भाजपा के पक्ष में अलख जगाया हो पर जब जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की बारी आई तो इस भगवा काल में जाटों ने मैदान मार लिया, लगभग 80-90 फीसदी जिलों में जाट अध्यक्ष बना दिए गए, उन जिलों में भी जाटों को प्रमुखता दी गई जो गुर्जर बहुल्य इलाके थे, बताया जाता है कि इस बात को लेकर गुर्जर समुदाय में खासा रोष है। वहीं दूसरी ओर भाजपा का फोकस यूपी की उन 14 सीटों पर है जिसे 2019 के लोकसभा चुनाव में उसने गंवा दिया। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया है जो इस बात की जमीनी पड़ताल में जुटी है कि आखिरकार 2019 के चुनाव में भाजपा को यहां हार का मुंह क्यों देखना पड़ा था? यह टीम बिजनौर, सहारनपुर और नगीना की सीटों पर खास तौर पर मेहनत कर रही है। इसमें से बिजनौर की सीट बसपा के मलूक नागर ने जीती थी, उनके बारे में कहा जा रहा है कि वे अंदरखाने से निरंतर भाजपा के संपर्क में हैं। वहीं भाजपा जयंत चौधरी पर अब भी डोरे डाल रही है, पर जयंत जानते हैं कि ’भगवा पार्टी अपने साथ की छोटी पार्टियों से क्या सुलूक करती है’, लोक जनशक्ति पार्टी से बड़ी मिसाल और क्या दी जा सकती है?
Posted on 15 March 2023 by admin
सत्तारूढ़ केंद्र सरकार के भरोसेमंद लोग गौतम अदानी को उनके मौजूदा संकट से बाहर निकालने में जुट गए हैं। 24 जनवरी को अमरीकी रिसर्च फर्म ‘हिंडनबर्ग’ की रिपोर्ट आने के बाद से ही लगातार अदानी समूह का संकट बढ़ता जा रहा है। सरकार से जुड़े एक बेहद भरोसेमंद सूत्र का दावा है कि ’गौतम अदानी को सलाह दी गई है कि वे अपनी कुछ बड़ी कंपनियों को बेच कर सरकार और लेनदारों के पैसों का फौरी भुगतान करें, कम से कम मार्च से ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाए।’ इसी सूत्र का दावा है कि इस कड़ी में अदानी अपनी दो सीमेंट कंपनियां एसीसी और अंबुजा सीमेंट को कुमार मंगलम बिड़ला के हाथों बेच सकते हैं और इस डील से प्राप्त राशि से अपनी देनदारियों को कम कर सकते हैं। सूत्रों का भरोसा है कि कुमार मंगलम बिड़ला को भी इन दोनों कंपनियों को खरीदने में पैसे की कोई दिक्कत नहीं आने वाली, क्योंकि इन दोनों कंपनियों की साख ऐसी है कि इनके नाम पर कोई भी बैंक लोन देने को सहर्ष तैयार हो जाएगा।
Posted on 15 March 2023 by admin
कर्नाटक में ऐन चुनावी बेला में पूर्व भाजपा विधायक और केएसडीएल बोर्ड के चेयरमैन मदल विरूपाक्षप्पा के बेटे प्रशांत कुमार को 40 लाख रूपयों की रिश्वत लेते जब लोकायुक्त ने पकड़ा तो घर की तलाशी में 6 लाख रुपए नकद भी प्राप्त हुए। तो राज्य की विपक्षी दलों ने फिर से शोर मचाना शुरू कर दिया कि यह 40 प्रतिशत कमीशन वाली सरकार है। पर सच तो यह कि यह पूरा घटनाक्रम येदुरप्पा बनाम राज्य के मुख्यमंत्री बोम्मई की आपसी टंकार की परिणति माना है। भले ही शुरूआत में बोम्मई येदुरप्पा के आदमी के तौर पर देखे गए पर हालिया दिनों में इन दोनों नेताओं के बीच आपसी टकराव की खबरें आती रहीं। कहते हैं कि बोम्मई ने सिर्फ इसीलिए अपने मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया कि उन्हें येदुरप्पा के बेटे को मंत्री नहीं बनाना था। मदल भी येदुरप्पा गुट के एक भरोसेमंद व्यक्ति हैं। पर भाजपा हाईकमान येदुरप्पा को नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठाना चाहता क्योंकि राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से 100 पर येदुरप्पा का असर बताया जाता है। राज्य के 500 से ज्यादा लिंगायत मठों पर भी येदुरप्पा का खासा असर है। राज्य के 17 फीसदी लिंगायत वोट यहां के चुनाव में निर्णायक साबित होते हैं। बीते सप्ताह जब पीएम मोदी कर्नाटक के शिवमोगा पहुंचे तो यह इस वर्ष की उनकी 5वीं कर्नाटक की यात्रा थी, जहां मोदी ने एक बड़ी रैली को संबोधित भी किया। रैली से पहले शिवमोगा एयरपोर्ट के उद्घाटन के मौके पर भी येदुरप्पा पीएम के साथ नज़र आए। पीएम ने अपनी रैली में न तो प्रदेश अध्यक्ष का नाम लिया और न ही सीएम बोम्मई का, पर उन्होंने 80 वर्शीय येदुरप्पा की तारीफों के पुल बांध दिए और उनके स्वस्थ जीवन की मंगल कामना भी की जो कि इस बात को दर्षाता है कि भाजपा हाईकमान का पक्का भरोसा है कि येदुरप्पा ही उनकी चुनावी वैतरणी को कर्नाटक में पार लगा सकते हैं।