Archive | May, 2022

नीतीश भाजपा की मजबूरी क्यों हैं?

Posted on 17 May 2022 by admin

’कहां तो हौसला था कि आसमां से सूरज उतार लाएंगे
तेरी जुल्फों में उलझे सावन से हम भी बहार लाएंगे
पर नए दौर का यह मौसम नया है
दोस्त मैं तुझमें हूं पर मुझमें तू कहां है’

भाजपा 2024 के आम चुनावों के लिए अभी से कमर कस चुकी है, सो येन-केन-प्रकारेण किसी भांति नीतीश को मनाने का भगवा उपक्रम जारी है। प्रदेश भाजपा के कई नेता नीतीश कुमार के खिलाफ खुल कर बयानबाजी कर रहे थे, इस बात को लेकर नीतीश भाजपा से किंचित खफा-खफा चल रहे थे। नीतीश को मनाने का जिम्मा पार्टी हाईकमान ने धर्मेंद्र प्रधान को सौंपा है, प्रधान पिछले दिनों नीतीश से मिलने यूं अचानक पटना पहुंच गए, सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं की बंद कमरे में घंटों बात हुई। नीतीश को भाजपा हाईकमान ने यह भरोसा दिया है कि ’वे बिहार में अपने हिसाब से सरकार चलाएं, भाजपा की ओर से किसी भी प्रकार का कोई व्यवधान नहीं होगा।’ नीतीश ने दो लोगों को बदले जाने की मांग की है इनमें से एक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल हैं जो नीतीश को फूटी आंखों नहीं सुहाते, दूसरे व्यक्ति हैं राज्य विधानसभा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा। नीतीश को आश्वासन दिया गया है कि आने वाले वक्त में इन दोनों को बदल दिया जाएगा। कहते हैं प्रधान ने नीतीश से कहा है कि ’राष्ट्रपति चुनाव के बाद जायसवाल को बदल दिया जाएगा।’ सूत्रों की मानें तो भाजपा फॉरवर्ड जाति के किसी युवा नेता को यह पद देना चाहती है, सीपी ठाकुर के पुत्र विवेक ठाकुर जो भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं, वे प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष हो सकते हैं। पिछले कुछ समय में तेजस्वी यादव ने भाजपा के परंपरागत वोट बैंक भूमिहार को तोड़ने में सफलता हासिल की है, इस दफे के विधान परिषद चुनाव में तेजस्वी की पहल पर तीन भूमिहार नेता चुनाव जीत गए हैं। भाजपा को यह चिंता भी सता रही है कि अगर नीतीश को खुला छोड़ दिया गया तो वे 2015 की तरह फिर से लालू से हाथ मिला सकते हैं, इससे 2024 के आम चुनाव में बिहार में भाजपा की संभावनाओं को ग्रहण लग सकता है।

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गोयल क्यों हुए गोल?

Posted on 17 May 2022 by admin

योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के डीजीपी मुकुल गोयल को विभागीय और शासकीय कार्यों की अवहेलना का दोषी ठहराते हुए उन्हें उनके पद से हटा दिया है, उनकी जगह डीएस चौहान को राज्य का नया डीजीपी बनाया गया है। आज से ग्यारह महीने पहले योगी के प्रथम शासन काल में गोयल जब डीजीपी बन कर लखनऊ आए तो उन्हें संघ और भाजपा के बड़े नेताओं की पसंद बताया गया। योगी ने भी अपनी फौरन नाराज़गी जाहिर कर दी नतीजन जब वे बतौर सीएम विभाग की मीटिंग लेते थे तो उसमें डीजीपी को बुलाया ही नहीं जाता था, पर गोयल अपने काम में जुटे रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री को एक गुप्त रिपोर्ट सौंपी, जिसमें राज्य के पुलिस विभाग के कई वैसे अधिकारियों के नाम थे जो भ्रष्टाचार में संलिप्त थे, कहते हैं इस लिस्ट में योगी के कई भरोसेमंद और मुंहलगे अधिकारियों के नाम भी शामिल थे। इसमें योगी के उस मुंहलगे अफसर का नाम भी शामिल था जिसने नोएडा में करीब 30 करोड़ की लागत से अपनी एक कोठी बनवा ली है। सूत्र बताते हैं कि तिलमिलाए सीएम ने अवनीश अवस्थी को बुला कर उनसे कहा कि वे गोयल को तुरंत सस्पेंड करना चाहते हैं, तब अवस्थी ने सलाह दी कि यह डीओपीटी को मंजूर नहीं होगा, सो इनका ट्रांसफर कर दिया जाए। अब सुना जा रहा है कि मुकुल गोयल को केंद्र में कोई महत्वपूर्ण पोस्टिंग मिल सकती है।

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नए अवतार में महाराज

Posted on 17 May 2022 by admin

मोदी सरकार के कई मंत्री सोशल मीडिया पर खासे एक्टिव रहते हैं, पर रंग बदल कर नए-नए भाजपाई हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया की बात ही कुछ अलग है। पिछले दिनों एक यात्री ने जो स्पाइस जेट की विमान से सफर रहा था, जब विमान में सवार होने के बाद वह अपनी सीट पर बैठने लगा तो उसने पाया कि उसकी खिड़की आंशिक रूप से डैमेज है। उस व्यक्ति ने फौरन उस टूटी खिड़की की फोटो खींच कर नागरिक उड्डयन मंत्री यानी सिंधिया को ट्विटर पर टैग करते हुए लिखा कि ’यह सुरक्षा में गंभीर चूक है।’ सिंधिया ने फौरन हरकत में आते हुए अपने अधिकारियों को तलब किया, फिर स्पाइस जेट के उच्च अधिकारियों को लाइन पर लेकर मंत्री महोदय ने साफ हिदायत दी कि ’जब तक खिड़की दुरूस्त नहीं होगी, विमान टेकऑफ नहीं करेगा।’ विमान कंपनी के अधिकारी गण मंत्री महोदय को समझाने की कोशिश करते रहे कि खिड़की के शीशे में मामूली क्रेक है, इसे ठीक करवा लिया जाएगा। पर मंत्री महोदय नहीं माने, नतीजन विमान कंपनी को उस रनवे पर ही अपने इंजीनियर भेज खिड़की की मरम्मत करानी पड़ी, इस पूरी प्रक्रिया में 10-12 घंटे लग गए, तब ही विमान वहां से टेकऑफ कर पाया। इसके बाद मंत्री महोदय ने निर्देश दिए हैं कि इस विमान सेवा के सभी विमानों की जांच कर उन्हें रिपोर्ट भेजी जाए।

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यह पूजा सिंघल क्या बला है

Posted on 17 May 2022 by admin

झारखंड की आईएएस अफसर पूजा सिंघल सियासत और नौकरशाही के मनचाहे घालमेल की ही एक तस्वीर है, जो यह बताने की कोशिश करती है कि नेताओं को भ्रष्टाचार की राह दिखाने वाली नौकरशाही खुद इसके अंदर किस हद तक लिप्त है। झारखंड में जब भाजपा के तथाकथित एक ईमानदार मुख्यमंत्री का दौर था पूजा सिंघल की उसमें तूती बोलती थी। वैसे तो पूजा अनगिनत घोटालों की सूत्रधार रही हैं, पर जब खूंटी में बड़े पैमाने पर मनरेगा घोटाला हुआ तो उसमें मैडम आईएएस की लिप्तता को लेकर एक जांच कमेटी बिठा दी गई, पर उस कमेटी की अगुआ रही झारखंड की तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और प्रिंसिपल सेक्रेटरी एपी सिंह ने पूजा सिंघल को इस मामले में क्लीन चिट दे दी। जबकि सरकार में सचिव रही निधि खरे ने पूजा को क्लीन चिट देने का खुल कर विरोध किया था। आज निधि खरे दिल्ली में पोस्टेड हैं और निधि के पति अमित खरे जो खुद भी एक आईएएस अफसर हैं, पीएमओ में एक बेहद ताकतवर अफसर हैं। सनद रहे कि उस दौर में राजबाला वर्मा और एपी सिंह पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे और तब पीएमओ ने रघुबर दास से कहा था कि वे वर्मा और सिंह दोनों की जांच कराएं। पर कंबल ओढ़ घी पीने में सिद्दहस्त रघुबर दास ने किंचित चतुराई से यह मामला दबा दिया। हेमंत सोरेन शुरू से भाजपा के निशाने पर रहे हैं और पूजा सिंघल हेमंत की किचेन कैबिनेट की एक अहम सदस्य हो गई थीं, सो सिंघल के बहाने सोरेन को भी नापने की तैयारी है। रही बात रघुबर दास की तो वे राज्यसभा में आने के लिए ताबड़तोड़ हाथ-पैर मार रहे थे, उनकी नज़र सीएम की कुर्सी पर भी थी। कहते हैं ईडी ने अपनी कड़ी पूछताछ में पूजा सिंघल से कई अहम राज उगलवा लिए हैं, इससे यह भी पता चला है कि सिंघल ने रघुबर दास के संग अपना ’बनिया कनेक्शन’ भिड़ा कर अपने रिश्ते किंचित बहुत मधुर कर लिए थे।

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सिंघल पर सीबीआई जांच हो सकती है

Posted on 17 May 2022 by admin

पूजा सिंघल के कई ठिकानों पर जब ईडी ने छापा डाला तो उसे वहां से कई अहम दस्तावेज और सुराग हासिल हुए। सिंघल के ठिकानों पर छापों के साथ ही ईडी ने कोलकाता के एक बड़े बिल्डर अभिजीत साहा के यहां भी छापा मारा, सूत्र बताते हैं कि बिल्डर के यहां से ईडी को कुछ ऐसे दस्तावेज हासिल हुए हैं जिसके तार सीधे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़ रहे हैं। सो, इस मामले को और भी गंभीरता के साथ खंगाला जा रहा है। कहते हैं अभिजीत साहा ने ईडी से पूछताछ में सीएम के एक करीबी व्यवसायी का नाम उगला है। सिंघल और उसके पति अभिषेक झा के सीए सुमन कुमार ने ईडी के समक्ष कई नए रहोस्योद्घाटन किए हैं। साथ ही वह सरकारी अप्रूवर बनने के लिए अपनी सहमति जता रहा है। सूत्र यह भी खुलासा करते हैं कि पूजा सिंघल के करप्शन की जांच षीघ्र ही सीबीआई को सौंपी जा सकती है। सिंघल पर खनन घोटाले के भी कई गंभीर आरोप हैं, सीएम सोरेन की करीबी होने के नाते उनके पास तीन-चार अहम विभागों का जिम्मा था। वह राज्य की खनन सचिव भी थीं, राज्य का खनन मंत्रालय सीधे सीएम के अधीनस्थ है, इसीलिए केंद्र चाहेगा कि इस मामले में सीबीआई अपनी सघन जांच करें और अगर पूजा सिंघल सरकार की अप्रवूर बनने को तैयार हो जाती हैं तो सोरेन पर तेजी से नकेल कसी जा सकती है।

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चिंता के सिवा क्या हासिल है चिंतन बैठकों से

Posted on 17 May 2022 by admin

कांग्रेस के अंदर नए बदलाव की कश्मकश जारी है, सोनिया की ज़िद भी अपनी जगह कदमताल कर रही है कि राहुल का इकबाल पार्टी जनों को स्वीकार करना ही होगा, और संगठनात्मक मजबूती की मिसाल बन चुकी भाजपा से दो-दो हाथ करने के लिए कांग्रेस को अपने चेहरे-मोहरे को बदलना ही होगा। पर उदयपुर में आहूत इस चिंतन बैठक के एजेंडे में नया क्या है? क्या यह कि परिवार के दो व्यक्तियों को पार्टी टिकट से नवाजा नहीं जाएगा, इसमें नया क्या है भगवा पार्टी ने यूपी चुनाव में हर संभव इस मंत्र को साध कर दिखाया है, मोदी ने सार्वजनिक मंचों से इस बात को दुहराया है। कांग्रेस में इस बात पर भी मंथन चल रहा है कि राजनीति में उम्र की सीमा तय हो, भाजपा यह पहले ही कर चुकी है, 75 साल से ऊपर के नेताओं को पहले ही मार्गदर्शक मंडल की राह दिखाई जा चुकी है। कांग्रेस में अब इस बात पर भी मंथन चल रहा है कि किसी भी नेता को दो टर्म से ज्यादा राज्यसभा नहीं दी जाएगी, इसमें नया क्या है सीपीएम जैसे दलों में यह परिपाटी वर्षों से चली आ रही है। सीताराम येचुरी भले ही तीसरी दफे पार्टी महासचिव बना दिए गए हों पर उन्हें राज्यसभा से वंचित रहना पड़ा है। पंचमढ़ी से लेकर शिमला तक कांग्रेस के हर चिंतन बैठक का अंजाम एक सा रहा है। आज कांग्रेस के लिए सबसे जरूरी है कि वह कुछ नया सोचे, अगर इनके नेता कुछ नया नहीं सोच सकते, तो पीके की वैचारिक जुगाली से ही कुछ मोती इकट्ठे किए जाएं।

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चिंतन शिविर की असल चिंता

Posted on 17 May 2022 by admin

कांग्रेस के उदयपुर के चिंतन शिविर से पार्टी के कई बड़े नेता नदारद रहे, उन्हें शिविर में बुलाया ही नहीं गया। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की अपनी सरकार है, इसके अलावा महाराष्ट्र, झारखंड में वह गठबंधन की सरकार में शामिल है। इन सरकारों के किसी भी मंत्री को चिंतन षिविर में आमंत्रित नहीं किया गया। राज्य इकाईयों के कार्यकारी अध्यक्षों को भी बुलाने की जहमत नहीं उठाई गई, कई पार्टी प्रवक्ताओं को भी नहीं बुलाया गया जिन्हें कैमरों के आगे पार्टी लाइन सामने रखनी होती है। इस बात पर सब हैरान थे कि आमंत्रितों की सूची किसने तैयार की थी? जिग्नेश मेवाणी और कन्हैया कुमार जैसे नेताओं को भले ही पार्टी में कोई पद न मिला हो, पर ये दोनों राहुल के बेहद दुलारे हैं, इस नाते इन्हें शिविर में बकायदा आमंत्रित किया गया। मेवाणी तो गुजरात से निर्दलीय विधायक हैं, उन्हें शिविर में देख कर कई कांग्रेसी हैरान थे। सोनिया गांधी को भी इस ऊहापोह का आभास हो चुका था, जिसका जिक्र अपने उद्घाटन भाषण में करते हुए उन्होंने कहा-’कई पार्टी नेता इस शिविर में रहना चाहते थे, पर कुछ कारणों से हमें भागीदारी सीमित करनी पड़ी है, पर मुझे यकीन है कि ये नेतागण हमारी मजबूरियों को समझेंगे, मैं उनसे कहना चाहती हूं कि महज़ उदयपुर में उपस्थित न रहने से संगठन में उनकी भूमिका या क्षमता का कोई अवमूल्यन नहीं हुआ है।’

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…और अंत में

Posted on 17 May 2022 by admin

एक) सोशल मीडिया पर उस गुटखा व्यापारी के नाम की बहुत चर्चा है जिन्होंने राज्यसभा की अदद सीट के लिए तमिलनाडु के सीएम को 75 करोड़ रुपयों की पेशकश कर दी थी, इनका काम बन ही जाता पर सोनिया गांधी ने उसी सीट के लिए स्टालीन से पी.चिदंबरम के नाम की जोरदार पैरवी कर दी।
दो) केंद्र सरकार के एक महत्वपूर्ण मंत्री के पुत्र को देहरादून के एक नामी स्कूल में बोर्ड एक्जाम में नकल करते धर लिया गया। यह खबर इसीलिए भी रफ्तार पकड़ती गई क्योंकि स्वयं पीएम अपने मन की बात में ’परीक्षा पर चर्चा’ कर रहे थे और छात्रों से परीक्षा के दौरान संयमित रहने की सलाह दे रहे थे।

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पहचानिए कौन है यह शख्स?

Posted on 17 May 2022 by admin

’न जाने कितनी आंखों में नश्तर सा चुभता है तू
सज़रे-बहारा में क्या ईंट-पत्थर सा रहता है तू’

कहते हैं नाम में क्या रखा है, आज हम जिस शख्स की कहानी यहां बयां करने वाले हैं, एक समृद्ध विरासत की दावेदारी के बावजूद भगवा सफर में इन्होंने उन रास्तों को चुना जो उन्हें सियासत के संक्रमण काल में लेकर गए। चंद दशक पहले साउथ दिल्ली की एक मामूली सी बरसाती से अपनी सियासी यात्रा शुरू करने वाला यह शख्स आज हजारों करोड़ का मालिक है। नोएडा में एक बड़ी कोठी है, एक बेनाम फॉर्म हाउस है और लंदन के पॉश इलाकों में बेटों के मालिकाना हक में फ्लैट्स हैं और भी बहुत कुछ है, पर सियासतदां अपने जुर्म और संपत्तियों को छुपाने में हमेशा सिद्दहस्त होते हैं। ऊंचाईयों को छूने का यह सिलसिला तब शुरू हुआ, जब वाजपेयी के शासनकाल में ये एक महत्वपूर्ण मंत्री के ऑफिस में लग गए। वहां से दुकान सजी तो यह एक बड़े हथियारों के सौदागर के संपर्क में आए, कई बड़ी डिफेंस डील में इनकी महती भूमिका मानी जाती है, उस डिफेंस डीलर ने इस शख्स को धन-धान्य से परिपूर्ण कर दिया। जब उस डिफेंस डीलर पर निजाम बदलने के बाद जांच एजेंसियों की सख्ती बढ़ी तो वह डीलर परिवार समेत लंदन शिफ्ट हो गया। पर इस भगवा राजनेता से उसके तार बदस्तूर जुड़े रहे। उस डीलर ने लंदन के एक पॉश इलाके में अपनी शानदार कोठी खरीद ली और इस भगवा शख्स के बेटे जब लंदन पढ़ने गए तो वह डिफेंस डीलर ही इनके बेटों के ‘लोकल गार्जियन’ की भूमिका निभाता रहा। इस भगवा शख्स ने इसके बाद नोएडा में अपनी एक आलीशान कोठी खरीदी और अपने एक मित्र के गारमेंट एक्सपोर्ट के धंधे में अपना ढेर सारा पैसा लगा दिया। अपनी अच्छी पढ़ाई और नफीस अंग्रेजी की बदौलत उन्होंने भगवा सियासत के एक चमकते नक्षत्र अरूण जेटली का दिल जीत लिया और धीरे-धीरे वे जेटली के बेहद करीबियों में शुमार होते चले गए। जब दिल्ली के निजाम पर मोदी जैसे शक्तिशाली सूर्य का उदय होने वाला था तो इस भगवा शख्स को एक महत्वपूर्ण पूर्वी राज्य का सहप्रभारी भी बनाया गया पर जैसे-जैसे मोदी दरबार में जेटली के आभामंडल में गिरावट आई, इस शख्स ने फौरन पाला बदल भाजपा के नंबर दो का दामन थाम लिया। और धीरे-धीरे सत्ता व सियासत की सीढ़ियां चढ़ते योगी के पहले शासनकाल में कैबिनेट मंत्री हो गए। उन्हें एक बेहद महत्वपूर्ण विभाग से नवाजा गया, पर जब इनके खिलाफ भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतें लगातार दिल्ली पहुंचने लगीं तो इनका विभाग बदल कर इन्हें एक मामूली सा विभाग दे दिया गया। इस वर्ष मार्च में जब योगी दुबारा लखनऊ की सत्ता पर काबिज हुए तो उन्होंने इस शख्स को बाहर का दरवाजा दिखा दिया। आजकल यह शख्स दिल्ली में रह कर अपने लिए पार्टी संगठन में किसी बड़े पद के लिए लॉबिंग कर रहे हैं, महरौली में रहने वाले इनके एक मित्र कारोबारी जो इत्र के एक बड़े उत्पादक हैं, वे इनके लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं ताकि इनके राजनैतिक प्रार्दुभाव को एक नई उड़ान मिल सके। फिलहाल यह शख्स देश के एक प्रमुख बिल्डर कंपनी के लिए हाउस कीपिंग कंपनी चला रहे हैं। पर सूत्र बताते हैं कि इन शख्स के करतूतों की दास्तां पीएम मोदी के संज्ञान में आ गई हैं, सो लगता नहीं है कि ‘नेटफिलिक्स’ के किसी स्पेनिश माफिया ड्रामा वाले इस प्रतिनायक के किरदार को भगवा राजनीति में फिर से नायक की हैसियत हासिल हो पाएगी।

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आखिर पीके और राहुल के दरम्यान हुआ क्या?

Posted on 17 May 2022 by admin

प्रशांत किशोर ने लगातार तीन दिनों तक अपनी प्रेजेंटेशन गांधी परिवार के समक्ष प्रस्तुत की, राहुल पहले दिन के प्रेजेंटेशन में मौजूद रहे पर दूसरे दिन उन्हें लंदन की फ्लाइट पकड़नी थी सो वे एयरपोर्ट के लिए निकल गए। तीसरे दिन प्रेजेंटेशन की रात प्रियंका गांधी को भी अमेरिका के कैर्लिफोनिया की फ्लाइट लेनी थी, और अपनी बेटी के पास पहुंचना था, जहां की यूनिवर्सिटी में उनकी बेटी पढ़ाई कर रही है। सो, आखिरी दिन के प्रेजेंटेशन में गांधी परिवार की ओर से सिर्फ सोनिया गांधी मौजूद थीं। सोनिया से बात करते हुए पीके ने एक शब्द का गहराई से इस्तेमाल किया, वह शब्द था-’नॉन निगोशिएबल’ जब इस बात की भनक लंदन में बैठे राहुल को लगी तो उन्होंने वहां से फौरन पीके को फोन लगाया और उनसे जानना जाहा कि ’आखिर ’नॉन निगोशिएबल’ शब्द का आशय क्या है।’ राहुल ने जोर देकर कहा कि ’ऐसे शब्दों को वे पसंद नहीं करते, इससे ऐसे लगता है कि जैसे कांग्रेस बेहद दबाव में है इससे उबरने के लिए पार्टी किसी तारणहार की तलाश कर रही है।’ पीके ने राहुल को समझाना चाहा कि ’आज कांग्रेस की जो दषा है, जहां वह खड़ी है, उसे ‘आउट ऑफ बॉक्स’ जाकर काम करना होगा।’ राहुल का कहना था कि कांग्रेस 135 साल पुरानी पार्टी है, इसमें अलग-अलग विचारधारा के लोग शामिल हैं, सो हमें सबको साथ लेकर चलना जरूरी है। इसके बाद आरजी ने पीके से कहा कि ’बेहतर होगा अगर वे कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर लें।’ इस पर पीके ने राहुल से जानना चाहा कि ’अगर वे पार्टी ज्वॉइन कर लेते हैं तो उन्हें क्या जिम्मेदारी मिलेगी?’ इस पर राहुल ने कहा कि ’तीन-चार महीने बाद पार्टी को नया अध्यक्ष मिलेगा, वही आपकी जिम्मेदारी भी तय कर देगा।’ फिर पीके ने पूछा-’क्या आप होंगे पार्टी के अगले अध्यक्ष?’ राहुल ने कहा-’यह कांग्रेस संगठन, परिवार और पार्टी के वरिष्ठ नेतागण तय करेंगे। वैसे भी नए अध्यक्ष की घोषणा की खबर आपको टीवी पर मिल जाएगी।’ पीके ने बात आगे बढ़ाते हुए राहुल से पूछा-’क्या आपने अब तक पूरा प्रेजेंटेशन पढ़ लिया है?’ राहुल ने कहा-’नहीं, बस सरसरी तौर पर देखा है।’ पीके ने फिर राहुल से कहा कि ’मैं इसके प्वांइटर्स आपको व्हाट्सऐप्प कर देता हूं। आप एक बार देख लीजिए।’ राहुल ने मना करते हुए कहा कि ’अभी वे सारे प्वांइट्स जयराम को ब्रीफ कर दें, वे मुझे समझा देंगे।’ पीके अपना सा मुंह लेकर रह गए।

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