Archive | May, 2021

क्या पटेल की जगह लेंगी प्रियंका?

Posted on 22 May 2021 by admin

कोरोना की पहली वेव ने कांग्रेस से अहमद पटेल जैसे संकटमोचक छीन लिया है, तब से ही लगातार यह कयास लग रहे हैं कि अहमद पटेल की जगह कौन लेगा क्या दिग्विजय सिंह या गांधी परिवार का कोई खास वफादार। पर अब कयासों से धुंध छंटने लगी हैं, प्रियंका गांधी के हालिया पॉलिटिकल मैनेजमेंट इस बात की चुगली खाने लगे हैं कि प्रियंका अपनी मां सोनिया या फिर राहुल के साथ एक बड़ी संवाद कड़ी साबित हो सकती हैं। इस बार भी जब सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव टालने की पटकथा लिखनी थी इसे प्रियंका ने ही अंजाम दिया, प्रियंका ने मीटिंग से पहले स्वयं गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा जैसे वरिष्ठ और असंतुष्ट कांग्रेस नेताओं से बात कर उन्हें इस बात के लिए मनाया। सो, जैसे ही अशोक गहलोत ने इस बाबत प्रस्ताव रखा आजाद और आनंद शर्मा ने इस पर अपनी सहमति जाहिर दे दी कि अभी चुनाव के लिए माकूल समय नहीं है। प्रियंका भले ही यूपी की प्रभारी हों पर अब शायद वे यूपी को बस अपने सोशल मीडिया से ही हेंडिल कर लेंगी, वैसे भी यूपी में उन्होंने अपने खास संदीप सिंह को बिठाया हुआ है, जो प्रियंका की खड़ाऊं रख कर वहां राज कर रहे हैं। संदीप ने ही लल्लू सिंह को यूपी कांग्रेस का प्रमुख बनवाया था, पर आज संदीप और लल्लू की आपस में इस कदर ठनी हुई है कि उनकी बातचीत भी बंद है। कांग्रेसी कार्यकर्ता राहुल के अमेठी हारने का दोष भी संदीप पर ही डालते हैं जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में लंबे समय से अमेठी का काम-काज देख किशोरी लाल को रायबरेली भेज दिया और खुद अमेठी की कमान संभाल ली। खैर, अब लगता है प्रियंका यूपी के बजाए राष्ट्रीय राजनीति पर ज्यादा फोकस कर रही हैं, सूत्रों की मानें तो पवन बंसल की जगह कांग्रेस के नए कोषाध्यक्ष राहुल-प्रियंका वफादार कनिष्क सिंह हो सकते हैं, कनिष्क ने लंबे समय तक मोतीलाल वोरा के सहयोगी के तौर पर काम किया है और उन्हें कांग्रेस के तमाम ट्रस्टों की बखूबी जानकारी है, आने वाले दिनों में कांग्रेस संगठन में यह बड़ा फेरबदल देखा जा सकता है।

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राज्यों की असली परेशानी क्या है?

Posted on 22 May 2021 by admin

अपने राज्य के लोगों के लिए वैक्सीन खरीदने के लिए भारत की विभिन्न राज्य सरकारें विश्व भर के वैक्सीन निर्माता कंपनियों के लिए ’ग्लोबल टेंडर’ निकाल रही हैं। उत्तर भारत के एक कांग्रेस शासित राज्य ने भी वैक्सीन की थोक खरीद के लिए अभी अपना ’ग्लोबल टेंडर’ निकाला है, पर हैरानी की बात देखिए कि इस टेंडर में भारत में ’कोविशील्ड’ का निर्माण करने वाली सीरम इंस्टीट्यूट हिस्सा नहीं ले रही है, इसके बजाए ’कोविशील्ड’ बनाने वाली ’मदर कंपनी’ स्वीडन की ’एस्ट्राजेनिका’ ने हिस्सा लिया है, सूत्र बताते हैं कि इस स्वीडिश कंपनी ने ’कोविशील्ड’ के लिए जो रेट दिए हैं, वे भारत में सीरम द्वारा निर्मित वैक्सीन के रेट से कई गुना ज्यादा है। रूसी उत्पाद ‘स्पुतनिक’ के भारत में निर्माण का अधिकार डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरी के पास है, अभी वह इस वैक्सीन का रूस से सीधे आयात कर रही है और दो महीने के अंदर इसका निर्माण भी भारत में ही होने लगेगा। अभी यह वैक्सीन डॉ. रेड्डीज निजी अस्पतालों को 745 रूपए + 5 फीसदी जीएसटी यानी 784 रूपए के दर पर बेच रहे हैं, निजी अस्पताल इस पर 150 से लेकर 250 रूपए का अपना शुल्क लगाकर उपभोक्ताओं को ये वैक्सीन दे रहे हैं, यानी उपभोक्ता तक पहुंचते स्पुतनिक वैक्सीन के एक डोज़ की कीमत 1050 से 1100 रूपए आ रही है। पंजाब जैसे राज्य स्पुतनिक की खरीद में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, पर हो सकता है उनके ’ग्लोबल टेंडर’ में भी डॉ. रेड्डीज की जगह स्पुतनिक बनाने वाली मूल रूसी कंपनी हिस्सा ले, तब वैक्सीन के एक डोज़ के लिए उनकी कीमत क्या होगी, अभी से इस बारे में कहा नहीं जा सकता। पर इतना तो तय है कि राज्यों को वैक्सीन खरीद के मद में भारी चूना लगने वाला है, देश में अभी 18-44 साल के बीच कोई 60 करोड़ की जनसंख्या है, यानी इनके पूर्ण वैक्सीनेशन के लिए 1 लाख 20 हजार करोड़ डोज चाहिए, अगर राज्य 1000 रूपए डोज़ के हिसाब से इसकी खरीद कर पाएं तो उनकी झोली में 120 हजार करोड़ रूपए होने चाहिए, दाम बढ़ गए तो आप कुल कीमत का अंदाजा खुद ही लगा लीजिए। अब जैसे दिल्ली सरकार ने वैक्सीन खरीद की मद में अभी मात्र 50 करोड़ का प्रावधान किया है, पर इस औसत दर से उन्हें वैक्सीन के मद में कम से कम 1000 करोड़ रूपयों की जरूरत होगी, चूंकि लगभग हर राज्य सरकार ने पहले से ऐलान कर रखा है कि वे अपने राज्य के नागरिक को मुफ्त वैक्सीन लगाएंगे। दिल्ली के हेल्थ का कुल बजट 9 हजार 934 करोड़ है यानी सरकार को वैक्सीन के 1000 करोड़ भी यहीं से निकालने होंगे।

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हम वैक्सीन की किल्लत में क्यों हैं

Posted on 22 May 2021 by admin

’उड़ने वाले परिंदों की कैद से हैरां ये आसमां है
अब तो दीवारों पर भी हर तरफ खरोंचों के निशां हैं’

उठते सवालों के हाथों में हथकड़ियां पहनाने का और असहमति में उठे स्वरों को जेल भेजने का रिवाज किस लोकतंत्र में है? क्योंकि एक जनतांत्रिक व्यवस्था में शासक के लिए जवाबदेही पहले से तय है, और वैसे भी यह एक आज़ाद ख्यालों का मुल्क है, जहां अगर भक्त रहते हैं तो लोकतंत्र के पुजारी भी। सो, यह सवाल सत्य और शाश्वत है कि आज हम वैक्सीन की इतनी किल्लत से क्यों जूझ रहे हैं? सवा सौ करोड़ से ज्यादा आबादी वाले इस देश में आज भी वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने वाली आबादी की कुल तादाद महज़ 3 फीसदी है और तकरीबन 13-14 फीसदी भारतीय ऐसे हैं जिन्हें कोरोना वैक्सीन की महज़ 1 डोज़ मिली है। वैसे भी ऐसे वक्त में जब देश में सांसों का हाहाकार है और नित्य दिन आस की हजारों डोर टूट रही हैं। अप्रैल माह में जहां प्रतिदिन देश में 35 से 36 लाख लोगों को वैक्सीन लग रही थी, यह आंकड़ा लुढ़क कर 19 मई तक 11 लाख 66 हजार पर आ गया। ऐसे में हमारे नियंताओं से सवाल पूछे ही जाने चाहिए, पोस्टर-परचम भी लहराए जाने चाहिए। अप्रैल माह में सीरम ने अपने उत्पादित वैक्सीन का एक बड़ा हिस्सा ‘ग्लोबल एलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाइजेशन’ यानी ’गावी’ को दे दिया था, ’गावी’ डब्ल्यूएचओ और ‘बिल गेट्स फाऊंडेशन’ का एक संयुक्त उपक्रम है, जिसके तहत वैसे गरीब देशों को मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराई जाती है जिनके पास वैक्सीन खरीदने के पैसे नहीं है, सीरम से खरीदी गई वैक्सीन में से ही ’गावी’ ने लगभग डेढ़ करोड़ वैक्सीन की डोज़ पाकिस्तान भेजी थी, कहते हैं ’गावी’ ने काफी पहले ही सीरम इंस्टीट्यूट को वैक्सीन उत्पादन के लिए एक बड़ा पैसा एडवांस के तौर पर दिया था। अब राज्यों को वैक्सीन देने से केंद्र ने हाथ झाड़ लिए हैं, लिहाजा अब राज्य सरकारों को अपने लिए वैक्सीन की खरीद खुद करनी होगी, अभी केंद्र ने वैक्सीन की 11 करोड़ डोज़ के लिए सीरम को पेशगी की तौर पर लगभग 1,700 करोड़ रूपए दिए हैं, कहते हैं सीरम के मालिकों ने इसके बाद ही लंदन के पास अपने एक नए प्लांट को शुरू करने के लिए 2,500 करोड़ रूपए लगाए हैं।

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किसकी सलाह मानते हैं योगी

Posted on 22 May 2021 by admin

सूत्रों की मानें तो यूपी के सीएम योगी ने अपने सलाहकारों का एक ‘सुपर 15 ग्रुप’ बना रखा है, इस ग्रुप में योगी करीबी कई मंत्री और ब्यूरोक्रेट शामिल हैं। इसके अलावा योगी ने एक ‘टीम इलेवन’ भी बना रखी है, इसमें भी कई मंत्री, ब्यूरोक्रेट और कुछ विशेषज्ञ शामिल है, यह टीम कोरोना को लेकर काम करती है। बहरहाल योगी की सुपर 15 टीम ने सियासी हालात का जायजा लेते हुए उनसे कहा कि प्रदेश में होने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुखों के चुनावों को तत्काल प्रभाव से टालना चाहिए और इसे टालने में बेधड़क कोरोना के बढ़ते मामलों का हवाला दिया जा सकता है। नहीं तो ये चुनाव पहले 15 से 20 मई के बीच होने थे। अब इन चुनावों को 15 जून तक टाल दिया गया है। जिसमें 75 जिला पंचायत अध्यक्ष और 826 ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव होने थे। दरअसल, सुपर 15 ग्रुप ने योगी को रिपोर्ट दी थी कि ’अगर अभी चुनाव हुए तो इसमें सपा गठबंधन बाजी मार सकता है, इसीलिए माहौल के शांत होने का इंतजार किया जाए।’ योगी ने अपने सुपर ग्रुप की सलाहों पर तुरंत अमल किया।

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सोरेन पर आगबबूला भाजपा

Posted on 22 May 2021 by admin

बकौल मुनव्वर राणा-’वो सन्दल से बने कमरे में भी रहने लगा लेकिन
महक मेरे लहू की उसके नाखून से नहीं जाती’

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तो जैसे बर्रे के छत्ते में ही हाथ डाल दिया, उनका पीएम से बात कर यह ट्वीट करना भाजपा वालों को बिल्कुल भी रास नहीं आया, सोरेन के ट्वीट की बानगी तो देखिए-’उन्होंने (पीएम ने) सिर्फ अपने मन की बात की, बेहतर होता यदि वो काम की बात करते और काम की बात सुनते।’ उनके इस ट्वीट से पूरी भाजपा इस कदर आहत हुई कि संघ से भाजपा में आए इस दौर के एक प्रमुख नेता की पहल पर भाजपाध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर एक इमर्जेंसी मीटिंग आहूत हुई, झारखंड भाजपा के एक सिरमौर बाबूलाल मरांडी को भी वीडियो कॉल के माध्यम से इस मीटिंग से जोड़ा गया। सूत्र बताते हैं कि सबसे दिलचस्प तो स्वयं मरांडी का स्टैंड था, उन्होंने अपने को इस मोह से अलग कर लिया था कि सोरेन के जाने के बाद वहां की गद्दी उन्हें संभालनी है। सूत्रों की मानें तो मरांडी का दो टूक कहना था कि ’वे सोरेन सरकार को गिराने के पक्ष में नहीं हैं, वे एक और षिवसेना पैदा नहीं करना चाहते।’ मरांडी का मानना था कि ’झारखंड में झामुमो, कांग्रेस व राजद गठबंधन की जो सरकार चल रही है, उसमें पहले से ही बहुत खटपट है, लिहाजा हमें इस सरकार के स्वतः गिरने का इंतजार करना चाहिए।’ भगवा सेना इन दिनों इंतजार करना ही तो भूल गई है।

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’मुंबई मॉडल’ के शिल्पकार इकबाल चहल कौन हैं?

Posted on 22 May 2021 by admin

’बुझा के सूरज हमने भी अपनी जेब में रख लिया है
हमें भी ज़िद है कि हम जुगनुओं सा चमकेंगे’

लड़ना, गिरना, गिर कर उठना, फिर शिद्दत से भिड़ना इस देश की तासीर में है, तभी कोरोना की इस काली रात के बाद हर भारतवासी को यकीन है कि ये अंधियारा अपना दामन समेट लेगा और एक नए दिन का नया सूरज हमारी धौंकती चलती सांसों को उम्मीदों का नया उजाला देगा। इन दिनों कोरोना से लड़ने के लिए ’मुंबई मॉडल’ की बहुत चर्चा है, दिल्ली समेत अन्य कई राज्यों को कोरोना से निपटने में फिसड्डी रहने पर अदालत ने उन्हें फटकार लगाते हुए ’मुंबई मॉडल’ से कुछ सीखने की सलाह दी। देवेंद्र फड़णवीस अपना खटराग अलापते रहे कि महाराष्ट्र सरकार गलत आंकड़े दिखा रही है, वहीं नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने खुल कर ’मुंबई मॉडल’ की तारीफ में कसीदे पढ़ दिए। यहां तक कि 10 मई को प्रधानमंत्री मोदी का महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फोन चला गया और पीएम ने उद्धव को ’मुंबई मॉडल’ की सफलता के लिए बधाई दे डाली। आइए जानते हैं ’मुंबई मॉडल’ के शिल्पकार 1989 बैच के आईएएस अफसर इकबाल चहल के बारे में, सबसे कम उम्र 22 साल की उम्र में यूपीएससी एक्जाम पास करने का रिकार्ड भी इनके नाम है। इन्हें पिछले साल ही उद्धव ने बीएमसी यानी मुंबई नगरपालिका का चैयरमेन बनाया था। चहल ने कोरोना की पहली वेब को भी ठीक से हेंडिल किया। उद्धव ने दूसरी लहर के समय चहल को कोरोना उन्मूलन की कमान देते हुए कहा था ’आप जो भी अच्छा करें उसका श्रेय ले सकते हैं, अगर कुछ नाकामी हुई तो उसे मैं अपने सिर लेने को तैयार हूं।’ इसीलिए जब देश पहली लहर में ताली-थाली के चक्कर में फंसा हुआ था, वे मुंबई को उत्सव मोड से बाहर ले गए, राज्य में अस्पतालों में बेड की संख्या, वेंटिलेटर और आईसीयू बेड्स की फिक्र करते दिखे और उन्होंने ऑक्सीजन की उत्पादकता बढ़ाने में सारा जोर लगा दिया। चहल अपनी टीम को अब तीसरी लहर के लिए तैयार रहने को कह रहे हैं। आज मोदी सरकार का हर मंत्री चाहे वे हरदीप पुरी हो या निर्मला सीतारमण ये चहल की तारीफ करते नहीं थक रहे, वहीं चहल जब दिल्ली में थे और 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आई तो इन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था, क्योंकि ये कभी मनमोहन सरकार के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के ओएसडी हुआ करते थे, सो इन्हें 2015 में अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया गया था और आज इस अकेले अधिकारी ने दिल्ली के बड़े सूरमाओं की छुट्टी कर दी है।

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…और अंत में

Posted on 22 May 2021 by admin

भाजपा को असम में जीत के बाद भी नाको चने चबाने पड़ रहे हैं। सर्वानंद सोनोवाल अड़ गए हैं सीएम पद नहीं छोड़ेंगे, हेमंता बिस्वा सरमा ने भी इस बार जिद पकड़ ली है कि उन्हें ही बनना है मुख्यमंत्री, वरना कांग्रेस का दरवाजा अब भी उनके लिए खुला हुआ है। पार्टी हाईकमान ने दोनों नेताओं को दिल्ली आने को कहा है ताकि नेतृत्व का फैसला हो सके, शनिवार को दोनों दिल्ली पहुंचे जहां उनकी मुलाकात पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से हुई, क्या कोई सुलह का फार्मूला निकाला गया है इसका पता तो रविवार को ही चल पाएगा।

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जयशंकर का असली एजेंडा क्या था

Posted on 22 May 2021 by admin

विदेश मंत्री एस जयशंकर जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए अपने लाव-लश्कर के साथ लंदन पहुंचे थे, चूंकि उनकी टीम के दो मेंबर कोरोना पॉजिटिव पाए गए सो उन्होंने अपने को आइसोलेशन में रखते हुए वर्चुअल मीटिंग में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की, पर सवाल उठता है कि वर्चुअल मीटिंग तो नई दिल्ली से भी हो सकती थी। दरअसल, उनका लंदन जाने का असली मकसद क्या था? सूत्र बताते हैं कि सीरम इंस्टीट्यूट के नाराज़ बॉस अदार पूनावाला को मनाने और उनसे निर्णायक बातचीत करने के लिए ही जयशंकर लंदन गए थे, क्योंकि इन दिनों अदार पूनावाला भी अपने परिवार के साथ लंदन में ही बने हुए हैं। यह तो सबको मालूम है कि जयशंकर एक अच्छे वार्ताकार हैं, जिसके मुरीद होकर पीएम ने उन्हें विदेश सचिव से विदेश मंत्री बना दिया था।

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कांग्रेस में बवाल के आसार

Posted on 22 May 2021 by admin

कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी में संपन्न हुए चुनावों की समीक्षा के लिए एक वर्चुअल मीटिंग रखी थी। इन चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन खासा निराशाजनक रहा है असम और केरल में उसे वापसी की उम्मीद थी पर पुदुचेरी से भी हाथ धोना पड़ा और बंगाल में तो पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई। तमिलनाडु में डीएमके के भरोसे रही। 10 तारीख को कांग्रेस कार्यसमिति यानी सीडब्ल्यूसी की बैठक आहूत है। सूत्र बताते हैं कि 10 तारीख की बैठक काफी हंगामाखेज रहने वाली है। कांग्रेस का असंतुष्ट गुट ’जी-23’ फिर से जाग गया है। सूत्रों की मानें तो इस असंतुष्ट गुट की ओर से सोनिया गांधी को एक सुलह का फार्मूला दिया गया है, इस फार्मूले के मुताबिक प्रियंका गांधी को कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए तथा उन्हें संबल देने के लिए ’जी-23’ के किसी मंझे नेता को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाना चाहिए। इससे उबरना सोनिया के पुत्रमोह के समक्ष असली चुनौती है।

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अपना दल को अपना न सकी भाजपा

Posted on 22 May 2021 by admin

यूपी के हालिया पंचायत चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। अयोध्या, मथुरा, काशी, प्रयागराज और लखनऊ में तो भगवा पार्टी की तमाम आशाएं धूलधुसरित हो गई। दरअसल पहले बनारस को लेकर भाजपा की अपना दल के अनुप्रिया पटेल से बात चल रही थी, भाजपा 40 में से 10 सीट अपना दल के लिए छोड़ने को तैयार थी, अपना दल 15 सीटें चाहती थी, सो बात बनी नहीं। दोनों दल अलग-अलग लड़े और इन दोनों ही दलों को मात्र 5-5 सीटें आई। जब चुनाव परिणामों की समीक्षा हुई तो जहां भाजपा मात्र 5 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही तो अनुप्रिया की अपना दल 21 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। यानी अगर भाजपा और अपना दल मिल कर लड़ते तो काशी में चुनाव परिणाम कुछ और हो सकते थे। ये पंचायत चुनाव 2022 विधानसभा चुनाव के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं, जिसमें समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन सबसे शानदार रहा है। 22 के चुनाव में भी सपा प्रगतिशील लोकतांत्रिक पार्टी और पश्चिमी यूपी में रालोद के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरेगी। कोविड कुव्यवस्था और किसानों की नाराज़गी का भी योगी सरकार को जवाब देना पड़ सकता है।

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