Posted on 20 June 2020 by admin
लद्दाख क्षेत्र में चीनी सैनिकों की सक्रियता को लेकर जब भारत और चीन के दरम्यान तनाव बना हुआ था तो ऐसे में पहली बार लद्दाख से चुन कर आए भाजपा सांसद जाम्यांग झेरिंग नामग्याल कहां पीछे रहने वाले थे। रविवार को वे अपना ताम-झाम उठा कर एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) के पास पहुंच गए और दूरबीन से विवादित स्थल का मुआयना करने गए, फिर एक बयान दे दिया कि हमारी एक इंच जमीन भी चीन के कब्जे में नहीं है। इसके बाद वे एक टीवी शो की डिबेट में चले गए और उस बहस में स्वीकार कर लिया कि भारत की जमीन चीन के कब्जे में है। इस पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें आड़े हाथों लिया, सूत्रों की मानें तो उनसे फोन कर पूछा गया कि वे किसकी इजाज़त से एलएसी पर चले गए और बिना तैयारी टीवी डिबेट में क्यों हिस्सा लिया? इस पर सांसद महोदय का जवाब था कि ’मैं लद्दाख का एमपी हूं मेरा भी कोई रोल होना चाहिए।’ इस पर पार्टी ने इन्हें समझाया कि मीडिया में पार्टी की बात रखने के लिए प्रवक्ता हैं, आप सीधे ऐसे डिबेट में पार्टी या सरकार का दृष्टिकोण सामने न रखें। कहते हैं अब भाजपा में नामग्याल का ग्राफ नीचे आ गया है। सनद रहे कि जब 2018 में लद्दाख के मौजूदा सांसद थुपस्टन चेवांग ने अपनी उम्र का हवाला देते हुए सांसद पद से इस्तीफा दे दिया तो 2019 के चुनाव में आनन-फानन में नामग्याल को भाजपा ने टिकट दे दिया जो कि सांसद चेवांग के संसदीय क्षेत्र का सारा काम संभालते थे, और युवा नेता नामग्याल भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत भी गए।
Posted on 20 June 2020 by admin
प्रवासी मजदूरों की घर वापसी में हुए बसों के विवाद के चलते यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पिछले 19 दिनों से जेल में बंद हैं, योगी जी की कृपा से। इस बात को लेकर यूपी कांग्रेस में खासी छटपटाहट है, सो यूपी के कई बड़े कांग्रेसी नेताओं ने वीडियो कॉल के माध्यम से कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी से बात की और उनसे आग्रह किया कि लल्लू जी को जेल से छुड़ाने के लिए हमें सड़कों पर उतरना चाहिए, कोई बड़ा आंदोलन करना चाहिए। प्रियंका ने इन नेताओं को समझाया कि इस कोरोना काल में सड़कों पर उतरना ठीक नहीं रहेगा, बल्कि हम प्रदेश में गरीबों के लिए मुफ्त खाने का पैकेट वितरित करें और जो भी व्यक्ति पैकेट लेने आए उसे पैकेट देते हुए बताया जाए कि हमारे अजय भैया जेल में बंद हैं, सिर्फ इस वजह से कि हमने गरीब मजदूरों को उनके घरों तक उन्हें सुरक्षित पहुंचाना चाहा, अब प्रदेश के कांग्रेसी नेता गण समझ नहीं पा रहे कि सियासत का यह कौन सा नया दस्तूर है, या दोनों में वाकई ‘लल्लू’ कौन है?
Posted on 20 June 2020 by admin
खबर आ रही है कि राज्यसभा चुनाव के आसन्न संकट को भांपते केंद्रनीत भाजपा ताजा-ताजा उनके पाले में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को एकबारगी फिर से महत्व देने लगी है, वैसे भी मध्य प्रदेश में 24 सीटों पर उप चुनाव होने हैं, जहां से सिंधिया वफादारों ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। विशेष सूत्र बताते हैं कि इस 26 जून को सिंधिया और सुरेश प्रभु को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। वहीं सिंधिया को इतना ज्यादा महत्व दिए जाने से भाजपा के अंदर गुटबाजी तेज हो गई है। नरेंद्र सिंह तोमर वफादारों का कहना है कि नाहक ही पार्टी के अंदर सिंधिया को इतना भाव दिया जा रहा है, अगर वे वास्तव में इतने बड़े नेता होते तो क्या प्रदेश में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत से जिता नहीं लाते? इस गुट का दावा है कि आने वाले उप चुनाव में इस बात का फैसला हो जाएगा कि इस चुनाव में सिंधिया के दबदबे वाले चंबल क्षेत्र को छोड़ कर अन्य जगहों पर भाजपा का प्रदर्शन कैसा रहता है? पर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व सिंधिया को लेकर कोई बड़ा रिस्क नहीं लेना चाहता क्योंकि शिवराज सरकार की भाग्य की डोर भी इस वक्त सिंधिया से बंधी हुई है।
Posted on 20 June 2020 by admin
कोरोना काल में बड़े साहबों का भी अंदाज बदल गया है। बड़े अधिकारी गण भी खुद कार ड्राईव कर मंत्रालय पहुंच रहे हैं, वे अपने साथ अपना खाना-पानी भी घर से पैक करा कर ला रहे हैं। खुद अपना सामान उठा अपने कमरे तक आते हैं, पहले कमरे की डस्टिंग करते हैं, फिर अपने हाथों से दरवाजों के हेंडिल, मेज, कुर्सियां, कंप्यूटर आदि को सेनिटाइज करते हैं। चाह कर भी वे अपने कमरे में चपरासी को तलब नहीं करते हैं। चाय की तलब हुई तो भी नहीं, साथ लाए थर्मस/फ्लास्क से अपने कप में चाय डाल लेते हैं। पर इस कोरोना काल में कुछ अधिकारी अब भी ऐसे हैं जिनकी अफसरी का भूत उनके सिर से उतरा नहीं है। ऐसे ही एक अधिकारी लेबर मिनिस्ट्री के एक संयुक्त सचिव हैं। हालांकि सरकार ने अब बॉयोमैट्रिक्स अटेंडेंस पर रोक लगा दी है, पर यह अधिकारी श्रमशक्ति भवन में अपने मातहतों के कमरे में अब तलक झांक कर देख रहे थे कि कितने लोग वक्त पर दफ्तर आ रहे हैं और अपना काम कर रहे हैं। पर बाद में पता चला कि इनके साथ-साथ मंत्रालय के 26 लोग संक्रमित हो गए हैं, अब तो इस बात की भी पड़ताल की जा रही है कि इन अधिकारी से कौन-कौन मिला था, ये कहां गए थे और इन्हें किन लोगों ने फाइलें पहुंचाई थी। समय का चक्र पलटते देर नहीं लगती।
Posted on 20 June 2020 by admin
’बुझने से पहले दीए ने रोशनी का हर कतरा लुटा दिया/पगली हवाओं ने जब तक समझा सूरज ओढ़ कर वह सो गया’ कोविड-19 जैसे साम्यवाद की नई अलख जगाने आया हो, क्या हाशिए पर खड़े लोग, क्या अघाए-सताए लोग, इसने तो सत्ता के पॉवर हाऊस में भी सेंध लगा दी है। इस बात की पड़ताल अब उफान पर है कि आखिरकार कोविड-19 बड़े सरकारी अधिकारियों और हैवीवेट केंद्रीय मंत्रियों तक कैसे पहुंच गया? अनलॉक 2.0 में केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया कि सरकारी कार्यालय खुलेंगे और 50 फीसदी कर्मचारी काम पर आएंगे। बड़े अधिकारियों को तो नियमित आने का फरमान सुना दिया गया। लॉकडाउन के दौरान भी गृह मंत्रालय में जोर-शोर से काम चल रहा था। कश्मीर पर लाए गए विधेयक की तथ्यात्मक और व्याकरण संबंधी त्रुटियां सुधारी जा रही थीं। कहते हैं इस विधेयक में कोई 57 त्रुटियां निकल कर सामने आई, जिसे सुधार कर इसे फिर से संसद में भेजना था। तब इस विधेयक की पूर्ण पड़ताल के लिए होम मिनिस्ट्री ने कानून मंत्रालय के एक काबिल अफसर को अपने यहां तलब किया। बाद में इसी अफसर को कोरोना संक्रमित पाया गया। इधर कई मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने का सिलसिला थमा नहीं। निर्माण भवन, शास्त्री भवन, रेल भवन, कृषि भवन, नेशनल मीडिया सेंटर और स्वास्थ्य मंत्रालय में कोरोना संक्रमितों की संख्या कितनी है इसकी आधिकारिक जानकारी कहीं उपलब्ध नहीं है, पर सूत्र बताते हैं कि एक अनुमान के अनुसार केंद्र सरकार के 300 से ज्यादा कर्मचारी अब तक इसकी गिरफ्त में आ चुके हैं। बड़े लोगों में रक्षा सचिव अजय कुमार, नीति आयोग के विनोद पाल, वित्त मंत्रालय की अंडर सेक्रेटरी रीता मल (जो नार्थ ब्लॉक में बैठती हैं), पीआईबी के धतवालिया समेत अन्य 30 अधिकारी भी इसकी चपेट में है। कई वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री तो स्वयं ही सेल्फ क्वाराइंटीन में चले गए हैं, जिनमें नितिन गडकरी, प्रकाश जावड़ेकर, रवि शंकर प्रसाद, नरेंद्र सिंह तोमर के नाम सामने आ रहे हैं। इसके अलावा 6 सचिव और 6 संयुक्त सचिव भी सेल्फ क्वाराइंटीन में बताए जा रहे हैं।
Posted on 20 June 2020 by admin
ऐसे माकूल समय में जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की उम्मीदें उफान पर है, तो वे अपने विचार शिल्पी के एस सुदर्शन का जन्मदिन बेहद धूमधाम से मना रहे हैं। यूं तो सुदर्शन की जन्मतिथि 18 जून की है पर हिंदू कैलेंडर की मान्यताओं के अनुसार संघ इसे इस बार 6 जून को सेलिब्रेट कर रहा है। सुदर्शन हमेशा से विकास के स्वदेशी मॉडल के पक्षधर रहे हैं और उन्होंने अपनी जीवन यात्रा में सदैव ‘वेस्टर्न मॉडल और इकोनोमिक डेवलपमेंट’ का विरोध किया था। उनके कार्यकाल में ही संघ का एक अनुसांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने भी नई ऊंचाइयां हासिल की थी। ग्लोबलाइजेशन के विरोधी माने जाने वाले सुदर्शन ने ही पहले पहल आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया था। नार्थईस्ट के विकास पर भी उनका खास जोर था और उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून की भी सर्वप्रथम वकालत की थी। सो, इस दफे जब पीएम मोदी ने रेडियो पर मन की बात की तो उन्होंने भी आत्मनिर्भर होने की अवधारणा पर बल दिया। पीएम ने साफ किया कि वे मैन्यूफैक्चरिंग हब को गांव-गांव तक ले जाना चाहते हैं और वे ग्रामीण इलाकों में रोजगार की नई संभावनाओं के द्वार खोलना चाहते हैं। पीएम का यह आग्रह इन मायनों में भी महत्वपूर्ण थे कि उनका मानना था कि जो प्रवासी मजदूर अपने घर लौट आए हैं अब उन्हें काम की तलाश में वापिस जाने की जरूरत नहीं है, उन्हें उनके गांव-घर के आसपास ही अब रोजगार मिल पाएगा। पीएम के इस आइडिया पर माइग्रेशन कमीशन ने काम करना शुरू कर दिया है, जिस कमीशन को आने वाले दिनों में आकार मिलना है।
Posted on 20 June 2020 by admin
आम आदमी पार्टी अब एक बार फिर से दिल्ली से बाहर अपने पैर फैलाने की तैयारियों में जुट गई है। कांग्रेस में नाराज़ चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू पर डोरे डाले जा रहे हैं, पार्टी आने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में सिद्धू को अपना सीएम फेस प्रोजेक्ट कर चुनाव में जा सकती है। अभी सिद्धू को मनाने की कोशिशें जारी है। वहीं पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव को भी किंचित गंभीरता से ले रही है। आप के बिहार प्रभारी संजय सिंह राज्यसभा सांसद हैं, यूं तो वे यूपी के सुल्तानपुर से ताल्लुकात रखते हैं पर सियासत का उनका भदेस अंदाज बिहार के लोगों को भी खासा रास आ सकता है। सो, कोरोना संकट के दौर में प्रवासी बिहारी मजदूरों की घर वापसी के लिए आप ने बढ़-चढ़ कर काम किया है। संजय सिंह ने अपने साल भर के 34 हवाई जहाज के कूपन बिहारी मजदूरों के नाम कर दिए। साथ ही उन्होंने लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों से अपील की है कि अगर सभी मिल-जुल कर ऐसा कदम उठाते हैं तो 26 हजार 860 प्रवासी मजदूरों को उनके संबंधित गृह राज्यों में भेजा सकता है। अब तक संजय सिंह ने 32 बसों में बिहार, यूपी, मध्य प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को उनके घर वापिस भेजा है। आप ने अब तक सवा लाख से ज्यादा बिहारी मजदूरों को बिहार ट्रेन द्वारा उनके घर वापसी में मदद की है। सो, आप ने तय किया कि बिहार विधानसभा चुनाव ’दिल्ली गवर्नेंस मॉडल’ बनाम बिहार का ’सुशासन मॉडल’ पर लड़ा जाएगा। आप के बिहार प्रवक्ता चंद्रभूषण का दावा है कि जहां दिल्ली में 201 यूनिट बिजली पर 70 रूपए का बिल आता है, वहीं बिहार में लोगों को 201 यूनिट बिजली के लिए 1540 रूपए चुकाने पड़ते हैं। आप दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य व परिवहन जैसे सफल मॉडलों का हवाला बिहार के संदर्भ में चाहती है। बिहार के हर विधानसभा में पार्टी अपने 20 से 30 हजार कार्यकर्ताओं की फौज तैयार कर रही है। मुस्लिमों का झुकाव बिहार में तेजी से आप की ओर देखा जा सकता है। दिल्ली के तर्ज पर ही आप बिहार में ’जय श्रीराम’ के नारे के जवाब में ’जय बजरंगबली’ का नारा बुलंद कर रही है। देखना है बिहार आप के लिए कितनी सफलता के द्वार खोल पाता है।
Posted on 20 June 2020 by admin
ज्योतिरादित्य सिंधिया पुराने कांग्रेसी ठहरे, सो वे भाजपा के रंग में अभी ठीक से रंग नहीं पाए हैं। चूंकि वे विदेश में पढ़े-लिखे हैं सो उनकी मान्यताओं और आचरण में अब भी पश्चिमी सभ्यता की छाप साफ-साफ झलकती है। जब तक वे कांग्रेस में थे राहुल के बेहद वफादारों में शुमार होते थे और राहुल के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के बाद भी वे राहुल गांधी को उनके फर्स्ट नेम यानी राहुल कह कर ही पुकारते थे। राहुल ने भी किंचित इन बातों का कभी बुरा नहीं माना। अब जब उन्होंने भाजपा ज्वॉइन कर ली है तो यहां भी बड़े नेताओं को उनके ‘फर्स्ट नेम’ से पुकारने से गुरेज नहीं करते। कल्पना कीजिए कि अगर भाजपा में कोई नेता ‘अमित‘ या ‘जेपी‘ का संबोधन दे तो पार्टी के आम कार्यकर्ता इस बात को कैसे हजम करेंगे? क्योंकि संघ और भाजपा के संस्कार इन बातों की अनुमति नहीं देते कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को उनके पहले नाम से पुकारा जाए, सो अगर ज्योतिरादित्य को भाजपा में रहना है तो भगवा ककहरा तो सीखना ही पड़ेगा।
Posted on 20 June 2020 by admin
केंद्रीय मंत्रिमंडल के बहुप्रतीक्षित विस्तार को कोरोना की आड़ में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है, यही बात है जो कांग्रेस से ताज़ा-ताज़ा भाजपा में आए नवांतुक भाजपाई महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को खल गई है, उनकी नाराज़गी का आलम यह है कि उन्होंने अपने ट्विटर हेंडिल पर अब तक बीजेपी प्रोफाइल को जगह नहीं दी है, क्या उनका यह बागीपन एक बार फिर से आकार ले रहा है? सूत्र बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों से सिंधिया पीएम मोदी से बात करना चाहते थे, सो उन्होंने कोई तीन दफे पीएमओ को फोन लगा दिया कि उन्हें प्रधानमंत्री से बात करनी है, पर अपनी व्यस्तताओं की वजह से पीएम लाइन पर नहीं आ पाए, समझा जाता है कि पीएमओ की ओर से उन्हें संदेशा आया कि वे अमित शाह से इस बारे में बात कर लें, कहते हैं फिर सिंधिया ने शाह को फोन लगाया, वहां से उन्हें मैसेज मिला कि वे भाजपाध्यक्ष जेपी नड्डा से बात कर लें। जब सिंधिया का नड्डा को फोन गया तो व्यवहार कुशल नड्डा ने अपने विनयशील और सौम्य व्यवहार से सिंधिया का दिल जीतने का हर मुमकिन प्रयास किया, पर शायद सिंधिया की सुई वहीं अटकी हुई थी कि उन्हें केंद्र में मंत्री कब बनाया जा रहा है? इस पर सिंधिया को बताया गया कि फिलवक्त तो भाजपा संगठन में फेरबदल की तैयारियां चल रही हैं, चूंकि स्वयं प्रधानमंत्री देश को कोरोना संकट से निकालने में दिन-रात एक कर रहे हैं सो ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में कैसे सोचा जा सकता है? जाने महाराज सिंधिया अब क्या सोच रहे हैं?
Posted on 06 June 2020 by admin
राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू के लिए यह वाकई चिंता की बात थी कि जब जुलाई के तीसरे हफ्ते में एक महीने के लिए संसद का मानसून सत्र शुरू होगा तो उपस्थित सांसदगण सोशल डिस्टेंसिंग का कैसे ध्यान रखेंगे? उसी वक्त वैंकेया के बाद डीएमके सांसद त्रिचि शिवा का एक सुझाव आया है, शिवा का कहना है कि राज्यसभा के 245 सांसदों के सत्र लोकसभा में चलने चाहिए, जहां 545 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है। और लोकसभा के सांसदों के सत्र सेंट्रल हॉल में
होने चाहिए, जहां 800 से ज्यादा लोगों के बैठने की जगह है। कहते हैं सरकार को यह आइडिया रास आ रहा है।