हे राम!

October 28 2010


लुईस फिशर ने अपनी पुस्तक ‘द् लाइफ ऑफ महात्मा गांधी’ में गांधी जी को उदृत करते हुए यह खुलासा किया है कि बापू ने 30 जनवरी 1948 को गोड्से की गोली खाने के बाद ही ‘हे राम’ पहली बार नहीं कहा था, ऐसा वे दक्षिण अफ्रीका में एक बार पहले भी कह चुके थे, गांधी जी के शब्दों में- ‘इससे पहले कि मैं अपनी बात पूरी कर पाता मेरे सिर पर एक जोरदार मुक्का पड़ा, मैं गश खाकर गिर पड़ा और मेरे मुंह से बरबस यही निकला-हे राम!’ सवाल उठता है कि अगर आज गांधी जी जीवित होते तो कॉमनवेल्थ लूट पर क्या वे फिर से नहीं कह उठते-‘हे राम!’ अब तक जांच समिति ने न कलमाड़ी, न भनोत, न शीला दीक्षित या फिर जयपाल रेड्डी को ही तलब किया है। पर जांच चल रही है। इतना तो तय समझा जा रहा है कि अगले लोकसभा चुनाव में कलमाड़ी को पुणे से कांग्रेस का टिकट नहीं मिलेगा, पर जानने वाले जानते हैं कि कैसे कालांतर में भी उन्होंने ऐसी सूरत में राज्यसभा का रास्ता तलाश लिया था। कहते हैं कि कलमाड़ी को सबक सिखाने पर शरद पवार आमादा हैं, कभी पवार से ही कलमाड़ी ने सियासत के गुर सीखे थे, आज दोनों में छत्तीस का आंकड़ा है। और गडकरी से पवार की दोस्ती भी जगजाहिर है, सो लगता नहीं कि आने वाले दिनों में कलमाड़ी को भाजपा चैन से रहने देगी।

 
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